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तेजी बरकरार रहे...जब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने कानून मंत्री से कही ये बात, एक ही मंच पर मौजूद थे दोनों

Admin2
4 Sep 2021 10:33 AM GMT
तेजी बरकरार रहे...जब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने कानून मंत्री से कही ये बात, एक ही मंच पर मौजूद थे दोनों
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फाइल फोटो 

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश ( CJI)जस्टिस नुथलापति वेंकट रमना (Justice NV Ramana) ने केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू (Kiren Rijiju) की मौजूदगी में कहा कि जिस स्पीड से सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 9 जजों की नियुक्ति के लिए कदम उठाए हैं, उसके लिए कानून मंत्री और पीएम का शुक्रिया अदा करता हूं. साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि सरकार कॉलेजियम द्वारा भेजी गई एक दर्जन हाई कोर्ट के लिए 68 जजों की सिफारिशों के लिए भी इसी तेजी से कदम उठाएगी.

उन्होंने कहा कि देश भर की अदालतों में ढांचागत सुविधाओं की बाबत विस्तृत रिपोर्ट अगले हफ्ते कानून मंत्रालय को सौप दी जाएगी. चीफ जस्टिस ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित अभिनंदन समारोह में कहा कि जिला और सत्र न्यायालयों को और सक्षम बनाने के मकसद से तैयार की गई विशेषज्ञों की रिपोर्ट में सुझाए गए उपाय काफी कारगर होंगे.
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सदस्य साथी जजों की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी सक्रियता और सकारात्मकता के लिए उन्हें हार्दिक धन्यवाद देता हूं क्योंकि सबके सहयोग से ही हम तेजी से विभिन्न उच्च अदालतों में बड़ी तादाद में खाली हुए जजों के पदों पर नियुक्ति की ओर बढ़ रहे हैं.
उन्होंने कहा, "कानूनी पेशे को अक्सर एक अमीर आदमी के पेशे के रूप में देखा जाता है लेकिन धीरे-धीरे स्थिति बदल रही है. अवसर खुल रहे हैं." उन्होंने कहा कि कानूनी पेशा अभी भी मुख्य रूप से एक शहरी पेशा है. एक मुद्दा यह है कि पेशे में स्थिरता की गारंटी कोई नहीं दे सकता. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका और कानूनी बिरादरी में महिलाओं की कमी है.
CJI ने कहा, "मुझे यह स्वीकार करना होगा कि बड़ी मुश्किल से हमने सुप्रीम कोर्ट में केवल 11% महिलाओं का प्रतिनिधित्व हासिल किया है." उन्होंने कहा कि भारत में लाखों लोग कोर्ट जाने में असमर्थ हैं. पैसे की कमी और समय की देरी एक बड़ी चुनौती है. जस्टिस रमना ने कहा, "यह मेरा कर्तव्य है कि मैं आपके सामने कठोर तथ्य लाऊं. जजों की भारी कमी है. न्यायालयों में बुनियादी ढांचे की कमी है. अपने हाईकोर्ट के दिनों में मैंने देखा है कि महिलाओं को शौचालय की सुविधा तक नहीं मिलती है. महिला वकीलों को परेशानी होती है." उन्होंने कहा, "जब मैं जज था तो मैंने चीजों को बदलने और संसाधनों में सुधार करने की कोशिश की थी."
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