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फाइल फोटो
विवेक त्रिपाठी
वाराणसी (आईएएनएस)| काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ने बनारस के छोटे व्यापारियों को बूस्टर डोज दे दी है। इनके व्यापार में चार से पांच गुना का उछाल आया है। कोरोना संकट के समय दुश्वारियां झेल रहे ठेला खोमचा, फूल माला, कचौड़ी, पान लगाने वाले समेत कई वेंडरों को अब संजीवनी मिल गई है।
काशी के जानकर बताते हैं कि धाम के लोकार्पण के बाद यहां आए बदलाव को देखा जा सकता है। दिसंबर 2021 में दक्षिण भारतीयों की कुछ टोली बांसफाटक, ज्ञानवापी और कालभैरव तक सीमित थी। बांकी सावन में भी भीड़ खूब नजर आती थी, लेकिन अब किसी न किसी प्रदेश और दुनिया से लोग दिखते हैं।
मैदागिन से बुलानाला के बीच कई नए रेस्टोरेंट खुले हैं। गोदौलिया से लेकर दशाश्वमेध घाट तक बनारसी जायका का स्वाद लेते लोग दिखते हैं। बांसफाटक फूल मण्डी के पास अब 24 घंटे फूलों की दुकानें मिलेंगी। गंगा पर आश्रित नाविक भी खूब चक्कर लगाकर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं।
काशी विश्वनाथ के गेट नंबर दो पर माला फूल और प्रसाद लगाने वाले आकाश चौरासिया बताते हैं कि दिव्य काशी बनने से लोगों की संख्या बढ़ी है। तकरीबन एक हजार और कभी डेढ़ हजार की बिक्री हो जाती है। पहले बहुत परेशानी उठानी पड़ती थी। लेकिन बीते एक दो साल में जब से कॉरिडोर बना है तब से ही मंदिर आने वालों की संख्या कई गुना बढ़ी है। इसका फायदा भी हमें मिला है।
लंका रोड पर चाय लगाने वाले धर्मेंद्र यादव ने कहा कि कॉरिडोर बनने के बाद यहां भीड़ बढ़ गई है। सड़क गुलजार रहती है। यहां रेला लगा रहता है। एक दिन में करीब एक हजार की चाय बेच लेते हैं। उससे डेढ़ हजार तक की आमदनी हो जाती है। पहले बहुत समस्या उठाई है। लेकिन बाबा का नया धाम बनने से सच में अच्छे दिन आ गए हैं।
गोदौलिया में कचौड़ी की दुकान लगाने वाले सुनील यादव कहते हैं कि काशी में जलेबी और कचौड़ी का चलन पुराना है। हमारी दुकान 1980 से स्थापित हुई थी। काशी का नया धाम बनने से व्यापार कई गुना बढ़ा है। शनिवार और रविवार को बिलकुल मेला जैसा प्रतीत होता है।
पहले जहां बिक्री कुछ हजार में सीमित थी अब वह बढ़कर 32,000 हजार हो गई है। यह कहा जा सकता है कि भव्य काशी से हमारे जीवन में खुशहाली बढ़ गई है।
काशी में बीएचयू के पास शिवा पान भंडार के शिव कुमार भारद्वाज कहते हैं कि बनारसी पान की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान है। इसे मेजबानी की निशानी माना जाता है। उन्होंने बताया कि उनकी 75 वर्ष पुरानी दुकान है। यहां पर हर प्रकार के पान मिलते हैं। कॉरिडोर बनने के बाद यहां हर तरह के लोग आते हैं।
हर दिन कई दर्जन नए व्यक्ति आते हैं। हमारी इनकम में भी दो गुना का इजाफा हुआ है। हमारी विभिन्न प्रकार के पान मिलते हैं। इसीलिए हमारे यहां के पान को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग मिल गया है। अब और भी प्रसिद्धि मिलेगी।
कोदई चौकी के पास सांई डोसा लगाने वाले सुधीर केशरी बताते हैं कि उनकी 40 साल पुरानी दुकान है। यह दुकान हमारे पिता जी ने शुरू किया था। नई काशी बनने पर व्यापार में बहुत लाभ हो रहा है। डोसा की बिक्री खूब होती है जबकि यहां पर फास्ट फूड की हजारों दुकानें हैं। घाट से लेकर गोदौलिया, सोनार फाटक तक काफी दुकानें हैं। कॉरिडोर बनने से आमदनी दो गुना हुई है। यह हमारे जीवन में खुशी के रंग भर रहा है।
नाविक कृष्णा साहनी ने बताया कि धाम बनने से पर्यटक काफी बढ़े हैं। घाट में नाव से लोग खूब घूमते हैं। पहले 200 से 400 तक ही कमाई हो पाती थी, लेकिन वर्तमान समय में यह रकम दोगुनी हो चुकी है। सीएनजी बोट से काफी आराम मिला है। बस इसकी सर्विस की और व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए। क्रूज चलने से ज्यादा नुकसान नहीं है। बस दिक्कत है बड़ी नाव छोटी से सटा कर चलते हैं जिससे लोग डरते हैं।
वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजीत बग्गा कहते हैं कि काशी कॉरिडोर अपने देश की शान है। इससे छोटे छोटे दुकानदारों, जैसे फूल माला, प्रसाद, खाने के समान, नाविक धाम बनने से लाभ है। पर्यटक बढ़े हैं। रोजगार भी बढ़ा है। लोगों की आमदनी में तकरीबन चार गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।
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