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हाथियों को रोकने के लिए किसान खोद रहे 20 फुट गहरी खाई, जानें कहां का है मामला?

jantaserishta.com
27 Dec 2022 10:02 AM GMT
हाथियों को रोकने के लिए किसान खोद रहे 20 फुट गहरी खाई, जानें कहां का है मामला?
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हासन (कर्नाटक) (आईएएनएस)| कर्नाटक के हासन जिले में सकलेशपुर के आसपास के क्षेत्रों के किसान और कॉफी बागान मालिक अपने खेतों को हाथियों के खतरे से बचाने के लिए खाई खोद रहे हैं। किसानों ने अपने खेतों के चारों ओर 20 फुट गहरी और 20 फुट चौड़ी खाई खोद ली है। किसानों ने आरोप लगाया कि वन अधिकारी उनकी इस समस्या पर जानबूझकर आंख मूंद रहे है।
खाइयों को पत्तों और बांस के डंडों से ढक दिया गया है ताकि जो हाथी अपने खेत की ओर आने की कोशिश करे वो खाई में गिर जाए।
किसानों ने कहा है कि वे बाद में वन विभाग के अधिकारियों को खाइयों के अंदर फंसे हाथियों को स्थानांतरित करने देंगे।
स्थानीय लोगों ने बताया कि हासन जिले के अलूर, सकलेशपुर और बेलूर क्षेत्रों में हाथियों ने तबाही मचाई है। कॉफी, केला, काली मिर्च की फसल नष्ट हो गई है और इस क्षेत्र में लोगों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार उनकी दुर्दशा के बारे में उदासीन दिखाई दे रही है। किसानों ने दावा किया कि उन्होंने अपनी योजनाओं के बारे में सरकार के साथ-साथ वन विभाग को भी जानकारी दी।
कर्नाटक में हासन जिले के किसानों और कॉफी बागान मालिकों ने अधिकारियों को खाई खोदने की अपनी योजना के बारे में दिसंबर के पहले सप्ताह में चेतावनी दी थी।
फसल नुकसान का आकलन करने पहुंचे किसानों ने वन विभाग के अधिकारियों को इस बारे में चेतावनी दी थी। ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों की समस्या को हल करने के लिए सरकार की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है और वन विभाग को भी इस मुद्दे से निपटने के लिए कोई निर्देश नहीं दिया जा रहा है।
किसानों ने उनसे कहा, जब हाथी खाई में गिरते हैं, तो आप (वन विभाग के अधिकारी) आते हैं, उन्हें उठाकर ले जाते हैं,
किसानों ने अधिकारियों से कहा कि जब तक हाथी खाइयों में नहीं गिर जाते और सरकार द्वारा उनकी परेशानी नहीं सुनी जातीं, तब तक हाथियों की समस्या का कोई समाधान नहीं होगा।
किसानों ने कहा, हमने कॉफी के पौधे बोए और उनकी देखभाल की। अगर कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो आप सभी हाथियों को खाइयों में पाएंगे। हम उन्हें नहीं मारेंगे, लेकिन जब हाथी खाइयों में गिरेंगे तो उन्हें सूचित करेंगे।
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