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लोग अक्सर फिल्मी हीरो को देखकर उनके पीछे पागलों की तरह भाग पड़ते हैं ताकि उनके साथ एक फोटो क्लिक करवा सकें। कई बार तो फ्लाइट में भी जब यह फिल्मी सितारे सफर कर रहे होते हैं तो भी लोग उनके पास पहुंच जाते हैं। इस बार भी इंडिगो की फ्लाइट में एक हीरो सफर कर रहा था लेकिन लोग इससे अंजान थे। तभी इंडिगो एयरलाइंस के कैप्टन ने विमान में मौजूद उस हीरो के बारे में अन्य यात्रियों को जानकारी दी तो सभी की नजरें उधर उठ गईं।
सोशल मीडिया पर इंडिगो एयरलाइंस का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है और लोग उसे बहुत पंसद कर रहे हैं। यहां आपको बता दें कि हम किसी फिल्मी हीरो की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि यह असल जिदंगी के हीरो हैं जो अपनी जान की परवाह किए बिना दिन-रात लोगों के लिए बॉर्डर पर डटे रहते हैं ताकि हमारा देश सुरक्षित रहे और हम लोग अपने परिलार के साथ सुख से रहें।
इंडिगो के कैप्टन ने फ्लाइट में परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर संजय कुमार का परिचय बाकी यात्रियों करवाते हुए उनके कारगिल युद्ध में वीरता का किस्सा भी सुनाया। कैप्टन ने बताया कि कैसे मेजर संजय कुमार ने दुश्मनों के बंकर में घुसकर सामने से जंग लड़ी। मेजर को गोलियां लगीं हुईं थीं लेकिन फिर भी उन्होंने दुश्मनों को ढेर किया। मेजर की वीरता की गाथा सुनकर केबिन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। देश के प्रति उनकी सेवा को देखते हुए एयरलाइन्स ने मेजर को सम्मानित भी किया।
परमवीर चक्र विजेता 47 वर्षीय सूबेदार मेजर संजय कुमार हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के गांव बकैन के रहने वाले हैं और साल 1999 के भारत पाकिस्तान के बीच लड़े गए कारगिल युद्ध में वीरता पुरस्कार परम वीर चक्र पाने वाले वे 21 वीरों में से एक हैं। सूबेदार मेजर संजय कुमार ने जम्मू-कश्मीर राइफल्स की 13वीं बटालियन में एक युवा राइफलमैन के तौर पर भारतीय सेना में अपनी सेवाएं शुरू की थी। 4 जुलाई, 1999 को ऑपरेशन विजय में अपने दल के साथ मुशकोह घाटी में प्वाइंट 4875 पर कब्जा करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी।
राइफलमैन कुमार ने अपनी सुरक्षा की परवाह न करते हुए दुश्मन पर सीधा हमला बोल दिया, जिसके बाद आमने- सामने की लड़ाई में इस जांबाज़ सिपाही ने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए और 3 घुसपैठियों को मौत के घाट उतार दिया। मेजर यहीं पर नहीं रूके, उन्होंने अपनी टीम के साथ दुश्मन की दूसरी पोस्ट पर भी हमला बोल दिया। घायल होने बावजूद इस वीर ने दुश्मनों का सामना किया। दुश्मन मेजर का साहस देखकर भाग खड़े हुए और भारतीय सेना का मुशकोह घाटी में प्वाइंट 4875 पर कब्जा हुआ।
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