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'अखंड' रहेगी ज्योति: इंडिया गेट पर नहीं अब राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलेगी अमर जवान ज्योति, जानिए कहां और कौन सी ज्‍योति की जाएगी विलीन

jantaserishta.com
21 Jan 2022 3:04 AM GMT
अखंड रहेगी ज्योति: इंडिया गेट पर नहीं अब राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलेगी अमर जवान ज्योति, जानिए कहां और कौन सी ज्‍योति की जाएगी विलीन
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नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस से पहले एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। इंडिया गेट पर 50 सालों से जल रही अमर जवान ज्योति की लौ को बुझा दिया जाएगा और इसे शुक्रवार को एक समारोह में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लौ में मिला दिया जाएगा। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इससे पहले, विभिन्न युद्धों और संघर्ष में देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी सैन्यकर्मियों को समर्पित कोई युद्ध स्मारक नहीं था। अब जबकि एक समर्पित स्मारक है, तो अमर जवान ज्योति की लौ को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ मिला दिया जाएगा।


इंडिया गेट को ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों की याद में बनवाया गया था। इसके बाद 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में अमर जवान ज्योति जलाई गई। इसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गणतंत्र दिवस (1972) के मौके पर किया था।
इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति में मार्बल से बने स्मारक के बीच एक राइफल लगी है, जिसके ऊपर एक सैनिक का हेलमेट है। राइफल और टोपी उन सैनिकों का प्रतीक है, जिन्होंने युद्ध में अपने प्राणों का बलिदान दिया। 'अमर जवान' सोने के अक्षरों से लिखा हुआ है।
शुक्रवार दोपहर एक समारोह में अमर जवान ज्योति के एक हिस्से को इंडिया गेट से करीब 400 मीटर दूर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ले जाया जाएगा। उसके बाद इंडिया गेट पर जल रही लौ को बुझा दिया जाएगा। शहीदों को श्रद्धांजलि देने और देश के प्रति उनके बलिदान को याद रखने के लिए नेशनल वॉर मेमोरियल की मशाल जलती रहेगी।
करीब तीन साल पहले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनकर तैयार हुआ था। इंडिया गेट के करीब 40 एकड़ क्षेत्र में बने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में 26,000 से अधिक भारतीय सैनिकों के नाम हैं, जिन्होंने स्वतंत्र भारत के युद्धों और संघर्ष में अपने प्राणों का बलिदान दिया है। यह देश का इकलौता ऐसा स्मारक है जहां ट्राई सर्विस यानी आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के सैनिकों के नाम एक छत के नीचे हैं।
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