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मेडिकल सर्टिफिकेट पर जज को हुआ शक, कैंसर की आड़ में आरोपी लेना चाहता था जमानत, FIR के निर्देश, जानिए पूरा मामला

jantaserishta.com
11 Feb 2021 7:47 AM GMT
मेडिकल सर्टिफिकेट पर जज को हुआ शक, कैंसर की आड़ में आरोपी लेना चाहता था जमानत, FIR के निर्देश, जानिए पूरा मामला
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अतिरिक्त सरकारी वकील ने इसके लिए अस्पताल के सिविल सर्जन से संपर्क किया.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने उस्मानाबाद के रहने वाले रंजीत शाहजी गडे के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है. वह एक अपराध की वजह से सलाखों के पीछे है. उसने बॉम्बे हाईकोर्ट में छह महीने की अस्थाई जमानत के लिए अर्जी लगाई. इसके लिए उसने अपनी मां के ब्रेस्ट कैंसर और डायबिटीज से पीड़ित होने की वजह बताई. गडे ने अर्जी के साथ उस्मानाबाद सिविल अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर की ओर से 27 अक्टूबर 2020 को जारी किया गया मेडिकल सर्टिफिकेट भी अटैच किया.

मेडिकल सर्टिफिकेट पर हुआ शक जस्टिस साधना एस जाधव और जस्टिस नितिन आर बोरकर को मेडिकल सर्टिफिकेट पर शक हुआ और उन्होंने सरकारी वकील को इसकी जांच कराने का निर्देश दिया. अतिरिक्त सरकारी वकील प्रजाक्ता शिंदे ने इसके लिए उस्मानाबाद अस्पताल के सिविल सर्जन से संपर्क किया. सिविल सर्जन की रिपोर्ट में बताया गया कि इस सर्टिफिकेट को अस्पताल की ओर से जारी नहीं किया गया. इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि ऐसा कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं जिससे जरा सा भी कोई संकेत मिलता हो कि रंजीत गडे की मां कंचनबाई का सिविल अस्पताल में किसी डॉक्टर ने कभी कोई हेल्थ चेकअप किया. रंजीत ने जमानत के लिए अपनी अर्जी में ये भी कहा था कि वो अकेला बेटा है, इसलिए उसकी गंभीर रूप से बीमार मां का एमरजेंसी में कोई देखभाल करने वाला नहीं है. पुलिस ने इस दावे की भी जांच की तो पता चला कि रंजीत का 40 साल का भाई अजीत शाहजी गडे है, जो मां कंचनबाई के साथ ही रहता है. इसके अलावा कंचनबाई के घर के साथ ही उनके और रिश्तेदार भी रह रहे हैं.
5000 रुपए का लगाया जुर्माना वहीं कंचनबाई का बयान भी पुलिस ने रिकॉर्ड किया, जिसमें उसने कहा कि उस्मानाबाद सिविल अस्पताल से इलाज के कोई कागज मौजूद नहीं हैं. कंचनबाई ने कबूल किया कि बेटे को जेल से अस्थाई तौर पर रिहा कराने के लिए ही ये मेडिकल सर्टिफिकेट दिया गया. कंचनबाई ने इस बात पर अनभिज्ञता जताई कि किसने ये मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने में मदद की. कंचनबाई ने पुलिस को ये भी बताया कि उसे ब्रेस्ट कैंसर जैसी कोई बीमारी नहीं है. हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने सारी वस्तुस्थिति से अवगत होने के बाद निष्कर्ष दिया कि 'ऐसा लगता है कि उस्मानाबाद अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर की स्टैम्प का दुरुपयोग करके ये फर्जी सर्टिफिकेट बनाया गया. ये गंभीर मामला है और अगर जरूरत है तो उस्मानाबाद के सिविल सर्जन को निर्देश दिया जाता है कि वो पुलिस स्टेशन में उन लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराएं, जिन्होंने अस्पताल की स्टैम्प्स का दुरुपयोग किया. ये कोर्ट को गुमराह करने की साफ कोशिश की गई.' कोर्ट ने रंजीत गडे की अस्थाई जमानत की याचिका नामंजूर कर दी. साथ ही उस पर 5000 रुपए का जुर्माना लगाया.


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