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जज हत्याकांड: CBI ने बदले जांच अधिकारी, स्पेशल क्राइम यूनिट-2 से एसपी विकास कुमार संभालेंगे जिम्मा
jantaserishta.com
29 Jan 2022 12:21 PM GMT
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रांची: धनबाद के जज उत्तम आनंद हिट एंड रन मामले में, झारखंड हाई कोर्ट सीबीआई की जांच और जांच में हो रही प्रोग्रेस से ज़रा भी खुश नहीं है. हाईकोर्ट की लगातार नाराज़गी के चलते सीबीआई ने इस मामले की जांच कर रही पूरी टीम को बदल दिया है.
इस मामले में नए जांच अधिकारी, सीबीआई मुख्यालय की स्पेशल क्राइम यूनिट-2 से एसपी विकास कुमार होंगे, जो अब जांच का ज़िम्मा संभालेंगे. विकास कुमार, एएसपी विजय शुक्ला की जगह नियुक्त किए गए हैं.
पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने सवाल किया था कि चार महीने के अंतराल में, दो ब्रेन मैपिंग टेस्ट क्यों किए गए. साथ ही, चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन की डबल बेंच ने सीबीआई की जांच पर सवाल उठाते हुए मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा था कि 'क्या सीबीआई आरोपियों को बचा रही है'?
हाई कोर्ट की फटकार के बाद ही सीबीआई की टीम को बदल दिया गया था. नई टीम ने 22 जनवरी को यह मामला अपने हाथ में ले लिया था. नए अधिकारी ने फोरेंसिक विशेषज्ञों के साथ, क्राइम सीन का दौरा भी किया था. नई टीम के एक बार फिर क्राइम सीन का दौरा करने की उम्मीद है.
नई टीम ने भी जेल में बंद राहुल वर्मा और लखन वर्मा से पूछताछ की अनुमति मांगने के लिए, अदालत का दरवाजा खटखटाया है. अपने चार्जशीट में, एजेंसी ने पहले ऑटो-रिक्शा चालक लखन वर्मा और राहुल वर्मा पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 201 (झूठी जानकारी देना) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत आरोप लगाया था. अदालत ने सीबीआई अधिकारियों को दोनों आरोपियों से, 29 से 31 जनवरी तक पूछताछ करने की अनुमति दी है.
जज की हत्या की जांच के लिए, झारखंड सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने सबसे पहले लखन वर्मा और राहुल वर्मा को गिरफ्तार किया था. सीबीआई ने जब अगस्त 2021 में जांच अपने हाथ में ली, तो दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया था.
इससे पहले, सीबीआई ने अदालत को बताया था कि पिछले साल 28 जुलाई को जब जज उत्तम आनंद सुबह की सैर के लिए निकले थे, तब उनको जानबूझकर एक ऑटो-रिक्शा ने टक्कर मारी थी. जज आनंद के परिवार ने आरोप लगाया था कि उनकी हत्या इसलिए की गई, क्योंकि वह स्थानीय माफिया से जुड़े संवेदनशील मामले देख रहे थे.
अपनी जांच के दौरान, सीबीआई ने घटना के सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की थी, क्राइम सीन को रीकंस्ट्रक्ट किया गया था. साथ ही, गांधीनगर, मुंबई और दिल्ली से चार अलग-अलग फोरेंसिक टीमों को भी शामिल किया था.
सूत्रों का कहना है कि अब तक जुटाए गए सारे सबूत इसी बात की ओर इशारा करते हैं कि जज उत्तम आनंद की हत्या की गई है, जबकि उनकी मौत को दुर्घटना की तरह दिखाया गया है.
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