
जेएनयू चुनाव समिति ने एक बयान में कहा, 'हमारे कार्यालय और सदस्यों के खिलाफ हिंसा और तोड़फोड़ की हालिया घटनाओं के कारण चुनाव प्रक्रिया गंभीर रूप से बाधित हुई है. जब तक प्रशासन और छात्र संगठनों द्वारा चुनाव समिति के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर ली जाती, तब तक अंतिम उम्मीदवार सूची जारी करने सहित पूरी प्रक्रिया को रोक दिया गया है.'
चुनाव समिति द्वारा नामांकन वापस लेने की समयसीमा कई बार बढ़ाए जाने के बाद स्थिति और बिगड़ गई. मूल रूप से 16 अप्रैल के लिए निर्धारित अंतिम उम्मीदवारों की सूची में देरी की गई और 17 अप्रैल को शाम 4 बजे तक नाम वापस लेने की विंडो खुली रखी गई, जिसे बाद में बढ़ाकर 4.30 बजे कर दिया गया. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने इसका कड़ा विरोध किया और इसे अलोकतांत्रिक बताया.
एबीवीपी के विरोध प्रदर्शन और वामपंथी संगठनों जैसे कि स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (BAPSA) के जवाबी विरोध प्रदर्शनों के कारण झड़पें हुईं, संपत्ति को नुकसान पहुंचा और तनाव बढ़ गया. लगातार जारी अशांति के बाद, चुनाव समिति ने 18 अप्रैल को दोपहर 2 बजे से 2.30 बजे तक नामांकन वापस लेने का एक और समय दिया, जिससे और अधिक विरोध प्रदर्शन हुआ.