झारखंड: नई सरकार के लिए 'लालू-राबड़ी मॉडल' दोहराने की तैयारी, CM हाउस में महागठबंधन विधायकों की बड़ी बैठक
रांची: झारखंड में बदलते राजनीतिक और कानूनी घटनाक्रमों के बीच अगले कुछ दिनों में नई सरकार गठित होने की संभावना तेज हो गई है। तीन जनवरी को सीएम हेमंत सोरेन के आवास में सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन के विधायकों की बैठक बुलाई गई है। इसमें सभी विधायकों को अनिवार्य रूप से उपस्थित होने को कहा गया …
रांची: झारखंड में बदलते राजनीतिक और कानूनी घटनाक्रमों के बीच अगले कुछ दिनों में नई सरकार गठित होने की संभावना तेज हो गई है। तीन जनवरी को सीएम हेमंत सोरेन के आवास में सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन के विधायकों की बैठक बुलाई गई है। इसमें सभी विधायकों को अनिवार्य रूप से उपस्थित होने को कहा गया है।
चर्चा है कि इस बैठक में हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को गठबंधन का नया नेता चुने जाने पर सहमति बनाई जा सकती है। मंगलवार सुबह 11 बजे सीएम हेमंत सोरेन ने राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन को अपने आवास बुलाकर मौजूदा घटनाक्रमों को लेकर विचार-विमर्श किया। इसके थोड़ी ही देर बाद सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की बैठक 3 जनवरी को बुलाने का निर्णय लिया गया।
दरअसल, इस पूरे सियासी घटनाक्रम की वजह है, सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ अगले कुछ दिनों में ईडी की संभावित कार्रवाई। सोरेन को ईडी ने जमीन घोटाले में बयान दर्ज कराने के लिए अब तक सात समन भेजे हैं। वह किसी भी समन पर हाजिर नहीं हुए। ईडी ने सातवां समन 29 दिसंबर को भेजा था। इसे एजेंसी ने आखिरी समन बताया था। इसमें कहा गया था कि वे सात दिनों के अंदर ईडी के समक्ष बयान दर्ज कराने के लिए उपस्थित हों। इसके लिए समय और स्थान तय करने के लिए उन्हें दो दिनों यानी 31 दिसंबर का वक्त दिया गया था। यह डेडलाइन गुजर गई और हेमंत सोरेन ने कोई जवाब नहीं दिया।
ईडी की ओर से बयान दर्ज कराने के लिए दिया गया सात दिन का वक्त 5 जनवरी को खत्म हो जाएगा। इसके बाद वह जांच में असहयोग का हवाला देकर हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के लिए कोर्ट से वारंट हासिल कर सकती है। सोरेन के नेतृत्व वाले राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन को इस परिस्थिति का अनुमान पहले से था। ऐसी स्थिति में झारखंड में सत्ता बरकरार रखने के लिए बिहार में वर्षों पहले आजमाए गए “लालू-राबड़ी मॉडल” को दोहराने की तैयारी चल रही है।
दरअसल, वर्ष 1997 में बिहार के तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद के खिलाफ जब चारा घोटाले में सीबीआई जांच का शिकंजा कसा था तो उन्होंने विधायक दल की बैठक बुलाकर खुद की जगह अपनी पत्नी राबड़ी देवी के नेतृत्व पर सहमति बनाई थी और उन्होंने सीएम की कुर्सी संभाली थी।
जानकार बताते हैं कि “लालू-राबड़ी मॉडल” को झारखंड में दोहराने की रणनीति के तहत गिरिडीह के गांडेय विधानसभा क्षेत्र के जेएमएम विधायक सरफराज अहमद ने 31 दिसंबर को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। रणनीति यह है कि अगले छह महीनों में इस सीट पर उपचुनाव कराए जाने पर कल्पना सोरेन चुनाव लड़ेंगी और विधानसभा पहुंचेंगी।
झारखंड की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी, 2025 में पूरा हो रहा है। नियमों के अनुसार किसी विधानसभा का कार्यकाल अगर एक साल से ज्यादा बाकी हो तो कोई सीट खाली होने पर अनिवार्य रूप से उपचुनाव कराया जाएगा। खुद सरफराज अहमद ने स्वीकार किया है कि उन्होंने राज्य में झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन की सरकार को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से इस्तीफा दिया है।