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रांची: सेवानिवृत्ति लाभ के भुगतान में विलंब करना सेवानिवृत्तकर्मी को प्रताड़ित करने जैसा है। इससे संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने कहा है कि लंबे समय से सेवानिवृत्ति लाभ का भुगतान नहीं करना अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है।
अदालत अत्यंत दुख के साथ अपने आदेश में यह दर्ज कर रही है कि सरकार की ओर से इस मामले में जानकारी देने के लिए 19 बार समय लिया गया। इसके बाद भी झूठा शपथपत्र दायर किया गया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि त्वरित न्याय दिलाने के लिए सरकार की स्टेट लिटिगेशन पालिसी है, लेकिन इस नीति के विपरीत कार्य किया गया है। झूठा शपथ पत्र दाखिल कर अदालत को गुमराह किया जाता है। अदालत ने तीन माह में प्रार्थी के बकाया सहित सारे वित्तीय लाभ एसीपी-एमएसीपी का लाभ, फैमिली पेंशन आदि का नए सिरे से गणना करते हुए भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
सुनीता वर्मा ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अभय कुमार मिश्र ने अदालत को बताया कि प्रार्थी के पति पवन कुमार वर्मा सहकारिता विभाग से साल 2005 में सेवानिवृत्त हुए थे। लेकिन उन्हें सेवानिवृत्ति का लाभ नहीं दिया गया। इसके लिए उन्होंने हाईकोर्ट से गुहार लगाई। हाईकोर्ट के आदेश के बाद कुछ दावे का भुगतान किया गया। इस बीच पवन कुमार वर्मा का निधन हो जाने के बाद उनकी पत्नी सुनीता वर्मा इस मामले में प्रार्थी बनीं। सरकार ने अब तक उनके पेंशन (फैमिली) पेंशन आदि का निबटारा नहीं किया है। जिसके बाद अदालत ने प्रार्थी को सभी प्रकार के बकाया भुगतान का आदेश दिया है।
भाकपा माओवादी के कमांडर छोटू खेरवार, पत्नी ललिता देवी से जुड़े नक्सलियों का पैसा निवेश कराने के मामले में एनआईए की विशेष अदालत में गवाही पूरी नहीं होने पर अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 10 मई निर्धारित की है। बता दें कि एनआईए ने लातेहार के बालूमाथ थाना में दर्ज प्राथमिकी को टेकओवर करते हुए 19 जनवरी 2018 को मुकदमा दर्ज किया है। इसमें नक्सलियों के पैसों का म्यूचुअल फंड समेत विभिन्न स्कीम में निवेश कराने का आरोप है। मामले में ललिता, चंदन कुमार, संतोष उरांव, रोशन उरांव ट्रायल फेस कर रहे हैं।
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