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रेलवे साइडिंग के कोयला स्टॉक की आग भड़की, 'गैस चैंबर' में जी रही 60 हजार की आबादी
jantaserishta.com
16 Jun 2023 10:47 AM GMT
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इससे पूरा इलाका गैस चैंबर में तब्दील होता जा रहा है।
रांची: पिछले दो महीने से रामगढ़ जिले के भुरकुंडा रेलवे साइडिंग में कोयले के स्टॉक में रह-रहकर आग भड़क रही है। इससे पूरा इलाका गैस चैंबर में तब्दील होता जा रहा है। तकरीबन 50-60 हजार की आबादी कोयले के स्टॉक से उठ रही आग की ऊंची लपटों, धुएं और गैस की वजह से परेशान है।
पिछले कई दिनों से भुरकुंडा का तापमान 40 से 42 डिग्री के बीच मापा जा रहा है। तकरीबन, 150 टन से भी ज्यादा कोयला जलकर राख हो गया है। अग्निशमन की टीम आग बुझाने में जुटी है, लेकिन इस पर काबू नहीं पाया जा सका है।
पांच-छह साल पहले भुरकुंडा रेलवे स्टेशन के पास रेलवे साइडिंग स्थापित की गई थी। यहां आसपास के खदानों से निकाला गया कोयला, ट्रकों-डंपरों से लाकर स्टॉक किया जाता है। जिसे रेलवे रैक के जरिए देश के कई पावर प्लांटों और फैक्ट्रियों तक भेजा जाता है। इस स्टॉक में पहली आग बीते अप्रैल में ही लगी थी। उस वक्त दमकल की 10-15 गाड़ियां आग बुझाने में लगाई गईं। इसके अलावा गर्म कोयले को साइडिंग से थोड़ी दूर डंप किया गया। इसके बाद आग की लपटें कुछ दिनों के लिए थोड़ी कम जरूर हुईं। लेकिन, स्टॉक में कोयले के नीचे लगी आग पूरी तरह खत्म नहीं हुई। बीते दस दिनों से आग दुबारा तेज हो गई है।
जानकार बताते हैं कि कोयला जब ऑक्सीजन के संपर्क में आता है तो ऑक्सीकरण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। अत्यधिक तापमान बढ़ने से कोयले में स्वत: आग लग जाती है। रेलवे साइडिंग में लगी आग भी इसी तरह भड़की है। इस साइडिंग में 40 हजार मीट्रिक टन से भी अधिक कोयले का स्टॉक है। समय रहते आग पर काबू न पाया गया तो करोड़ों का नुकसान होगा।
बता दें कि भुरकुंडा के पास आईएजी मोड़ और सौंदाडीह स्थित कोयला खदानों में सालों से भूमिगत आग लगी हुई है। अब, रेलवे साइडिंग की आग ने परेशानी और बढ़ा दी है। रेलवे लाइन, भुरकुंडा के कस्बाई और ग्रामीण इलाके को बीचों-बीच बांटती है। रेलवे साइडिंग की आग ग्रामीण इलाकों और रेलवे लाइन के किनारे की आबादी को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है।
स्थिति यह है कि पूरा इलाका गर्दो-गुबार और धुएं से भर गया है। कोयले के जलने से चारों ओर गैस फैल रही है। लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है। ग्रामीण इलाकों के खेतों में गर्दो-गुबार की परत बिछ गई है। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी फसलें चौपट हो रही हैं। पानी के ऊपर कोयले की परत बिछ रही है। इतना ही नहीं, पिछले दिनों रेलवे साइडिंग से कोयला हटाकर आबादी वाले इलाके में बिखेर दिया गया। स्थानीय लोग इसके खिलाफ सड़क पर उतरे तो रेलवे ने कई लोगों को अतिक्रमण का नोटिस भेज दिया। लोगों का कहना है कि वे जब भी इलाके में फैल रही आग और प्रदूषण को लेकर आवाज उठाते हैं तो उनके खिलाफ धारा-107 का नोटिस जारी कर दिया जाता है। कई बार तो विरोध करने वालों को थाने में लाकर बिठा दिया जाता है।
हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा, इलाके की विधायक अंबा प्रसाद, पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ कई वर्षों से अभियान चलाने वाले निर्दलीय सरयू राय ने अग्नि प्रभावित रेलवे साइडिंग का जायजा लिया है। सांसद जयंत सिन्हा ने आग को प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम बताया है। उन्होंने इस मुद्दे पर रेलवे और जिला प्रशासन के अफसरों से भी बात की थी। लेकिन, अब तक हालात जस के तस बने हुए हैं। विधायक सरयू राय ने कहा कि इसके पीछे कोयले का काला खेल है। ग्रामीणों की जिंदगी तबाह हो रही है। इसके खिलाफ जल्द ही हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल करेंगे।
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