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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने EC को जवाब भेजा, जानें क्या कहा?

jantaserishta.com
28 May 2022 10:35 AM GMT
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने EC को जवाब भेजा, जानें क्या कहा?
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नई दिल्ली: झारखंड में लीज आवंटन मामले में चुनाव आयोग (election commission) ने एक बार फिर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पेशी का वक्त बढ़ा दिया है. हेमंत को पेश होने के लिए अब 15 दिन का वक्त और दिया गया है. सीएम सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का गलत लाभ उठाया और खुद के नाम पर खनन पट्टा लिया है. हेमंत के पास खनिज विभाग की भी जिम्मेदारी है. इस मामले में झारखंड के राज्यपाल रमेश बैंस से शिकायत की गई थी. राज्यपाल ने मामले की रिपोर्ट चुनाव आयोग के पास भेज दी थी.

इस मामले की जांच के सिलसिले में निर्वाचन आयोग ने हेमंत सोरेन की पेशी की मोहलत और बढ़ा दी है. अब आयोग ने 15 दिन मोहलत बढ़ाते हुए 14 जून को हाजिर होकर पक्ष रखने का आदेश दिया है. पहले आयोग ने 31 मई की तारीख तय की थी. लेकिन हेमंत ने अपनी मां की सेहत खराब होने का हवाला दिया और कहा कि वे अपना जवाब तैयार नहीं कर पाए हैं. इस वजह से उन्होंने समय सीमा बढ़ाने का आग्रह किया था.
चुनाव आयोग ने उनकी बात मान ली है. हालांकि आयोग के नोटिस का जवाब भी हेमंत सोरेन ने मोहलत बढ़वा कर ही दिया था. निर्वाचन आयोग ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 20 मई को भेजे नोटिस में 10 दिन बाद यानी 31 मई को मुख्यालय में तलब किया था. हालांकि हेमंत सोरेन ने आयोग के नोटिस पर अपना जवाब सौंप दिया है. जवाब में हेमंत ने कहा कि उनके पास फिलहाल कोई माइनिंग लीज नहीं है. पहले थी जिसे उन्होंने वापस कर दिया है.
बता दें कि निर्वाचन आयोग ने पहली मई को नोटिस जारी कर हेमंत को जवाब देने के लिए 10 दिनों का समय दिया था. हेमंत सोरेन ने अपनी मां की खराब सेहत का हवाला दिया और 10 दिनों की मोहलत मांगी थी. आयोग ने अतिरिक्त 10 दिनों की मोहलत देकर उन्हें 20 मई तक जवाब दाखिल करने को कहा था. हेमंत के जवाब पर आयोग ने उनको 31 मई को सुनवाई के लिए तलब किया था.
आयोग के पहले नोटिस पर हेमंत सोरेन ने कहा था कि मां की तबीयत खराब होने से वह 600 पेज का नोटिस नहीं पढ़ पाए. 2 मई को नोटिस मिला और 10 मई तक जवाब देना था. नोटिस को पढ़ने-समझने और जवाब तैयार करने में वक्त भी लगता है, तभी तो मजबूती से वो अपना पक्ष रख पाएंगे. नोटिस पूरा पढ़ने और तकनीकी बारीकी समझने के लिए 30 दिन की मोहलत दी जाए.
सोरेन के जवाब के मुताबिक, रांची के अनगड़ा प्रखंड में 88 डेसमिल पत्थर खदान खनन की लीज 14 साल पहले 17 मई 2008 को 10 साल के लिए दी गई थी. 2018 में इसके नवीनीकरण के अनुरोध को नामंजूर कर दिया गया था. फिर 2021 में उनकी लीज रिन्यू कर दी गई थी, लेकिन प्रशासन ने कई नीतिगत कारणों से जब इस साल 4 फरवरी तक खनन करने की अनुमति (सीओटी) नहीं दी तो उन्होंने बगैर खनन किए लीज सरेंडर कर दी. अब फिलहाल उनके पास कोई माइनिंग की जमीन लीज पर नहीं है.


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