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पंजाब में राहुल गांधी का जाट प्रेम, समझिए कैसे ?

Nilmani Pal
18 Sep 2021 4:41 PM GMT
पंजाब में राहुल गांधी का जाट प्रेम, समझिए कैसे ?
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नई दिल्ली। सियासी मायने में पंजाब की घटना बेहद अहम मानी जा रही है। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अचानक इस्तीफा दे दिया। पंजाब में काफी दिनों से मची उठापटक के बीच कयास लगाए जा रहे थे कि ये सब बहुत दिनों तक चलने वाला नहीं है और हुआ भी कुछ ऐसा ही। अब सवाल ये उठ रहा है कि कैप्टन के जाने के बाद आखिरकार पंजाब के सीएम का ताज किसके सिर पर सजेगा। इस फेहरिस्त में सबसे अव्वल जो नाम आ रहा है वो है सुनील जाखड़ का। जाखड़ पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं और कांग्रेस का जाट चेहरा भी।

सुनील जाखड़ का सियासी सफर

सुनील जाखड़ बलराम जाखड़ के पुत्र हैं जोकि 1980 से 1989 के बीच दो बार लोकसभा के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं। सुनील जाखड़ पंजाब में जाट परिवार से आते हैं। राजनीतिक लिहाज से देखा जाए तो पंजाब में जाटों का कोई खास प्रभुत्व नहीं है। सिख के बदले एक जाट नेता पर दांव खेलना कांग्रेस की किस रणनीति का हिस्सा है समझ से परे है। लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के दिमाग में जरूर ये समीकरण बैठ रहा होगा। पंजाब में कांग्रेस का अध्यक्ष सिख होगा जोकि नवजोत सिंह सिद्धू है और सरकार की कमान एक जाट नेता के हाथ पर होगी।

एक तीर से तीन निशाने

सुनील जाखड़ कांग्रेस से काफी पहले से जुड़े हुए हैं। पहली बार सन् 2002 को वो अबरोहा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनकर आए थे। 2016 में उनके पिता बलराम जाखड़ का निधन हो गया और उसके बाद 2017 लोकसभा उपचुनाव में गुरुदासपुर से उन्होंने भारी मतों से जीत दर्ज की। बलराम जाखड़ सिर्फ पंजाब तक ही सीमित नहीं थे। इसका मतलब साफ है कि सुनील जाखड़ को पंजाब का सीएम बनाने के पीछे हरियाणा और राजस्थान की राजनीति भी छिपी हुई है। बलराम जाखड़ खुद दो बार सीकर से सांसद रह चुके हैं।

इतना ही नहीं बलराम जाखड़ 1998 में राजस्थान के बीकानेर से भी सांसद चुने गए। सुनील जाखड़ ने खुद सीकर जाकर चुनाव प्रचार किया है उसको अपनी कर्मभूमि बताया है। मसलन, कांग्रेस की नजर पंजाब ही नहीं बल्कि हरियाणा और राजस्थान भी है जहां पर जाट समुदाय की राजनैतिक पहुंच काफी ज्यादा है। दोनों ही प्रदेशों में जाट समुदाय जीत और हार का कारण बनता है। कांग्रेस के लिए मुश्किलें केवल पंजाब की नहीं है आपको पता होगा कि राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच क्या चल रहा है। हम सब जरूर कांग्रेस के इस फैसले से चौंक रहे होंगे मगर हो सकता है राजनैतिक लिहाज से ये फैसला बिल्कुल सटीक बैठे। अब सुनील जाखड़ के सामने सबसे पड़ी चुनौती ये है कि कैसे वो बागी विधायकों को मनाते हैं। क्योंकि पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ तकरीबन 25 से ज्यादा विधायक हैं जोकि बागी हो सकते हैं। 2012 से 2017 के बीच जाखड़ नेता प्रतिपक्ष का रोल निभाया। इस वक्त कांग्रेस के सभी फैसले राहुल गांधी ही ले रहे हैं। सुनील जाखड़ को भी राहुल का करीबी माना जाता है। इसी तरह इनके पिता बलराम जाखड़ भी इन्दिरा गांधी के बेहद करीबी नेताओं में से एक रहे हैं। पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में भी बलराम जाखड़ मंत्री रहे हैं और मध्य प्रदेश के राज्यपाल भी रहे हैं।

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