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जन्माष्टमी की धूम, द्वारकाधीश मंदिर में श्रीकृष्ण के श्रृंगार की जानें 10 खास बातें

HARRY
19 Aug 2022 4:20 PM GMT
जन्माष्टमी की धूम, द्वारकाधीश मंदिर में श्रीकृष्ण के श्रृंगार की जानें 10 खास बातें
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सूरत: पूरे देश में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व 'जन्माष्टमी' धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस मौके पर द्वारका के द्वारकाधीश मंदिर में श्रीकृष्ण के श्रृंगार के लिए लिए 'दिव्य' पोशाक और मुकुट तैयार किए गए हैं. सिल्क की सोने की जड़ी वाली पोशाक में हीरे भी जड़े गए हैं. वहीं, उनके मुकुट में पन्ना, पुखराज, माणेक और हीरे जैसे कई कीमती रत्न जड़े हुए हैं, जो भगवान श्रीकृष्ण को रात 12 बजे उनके जन्मोत्सव के बाद पहनाया जाएगा. यहां पढ़ें भगवान श्रीकृष्णजी के पोशाक और मुकुट की विशेषताएं…

भगवान श्री कृष्ण को जन्मोत्सव के बाद जो पोशाक पहनाई जाएगी उसकी लंबाई 10 मीटर है. ख़ास पोशाक को 100 ग्राम प्योर सिल्क के कपड़े से तैयार किया गया है. कपड़े कर्नाटक के दावणगिरी से मंगवाए गए थे.
कपड़े पर द्वारका में सिलाई-कढ़ाई का काम हुआ है. वहीं सूरत में कपड़े पर जरदोजी का काम पूरा किया गया, जहां सोने-चांदी भी जड़ी गई. ख़ास बात यह है कि तारों के बीच डायमंड भी जड़े गए हैं.
श्रीकृष्ण के ख़ास पोशाक को तैयार करने में छह महीने का वक्त लगा है. इस दरमियान करड़े पर कढ़ाई और फिर जरदोजी के काम के बाद सिलाई का काम पूरा किया गया. ख़ास पोशाक को तैयार करने में 50 कारीगरों ने दिन-रात मिलकर काम किया है.
द्वारकाधीशजी की दिव्य पोशाक के अलावा मुकुट में सूर्य-चंद्रमा की डिजाई बनाई गई है. पोशाक पर फल, पान और बेल की डिजाई है, जो कृष्णजी को जन्मोत्सव के बाद पहनाई जाएगी.
द्वारकाधीशजी की मुकुट की ख़ासियत है कि, इस जन्माष्टमी पर फुलेर मुकुट तैयार किया गया है. सोने से बना मुकुट 9X9 साइज का है, जिसमें 22 कैरेट सोने का इस्तेमाल किया गया है.
मुकुट में भी जरदोजी का काम हुआ है. वहीं जयपुर से 1200 रियल स्टोन भी मंगवाए गए थे. मुकुट में पन्ना, पुखराज और माणेक जैसे रत्न जड़े गए हैं, जो चार हिस्सों में तैयार किया गया है.
भगवान श्रीकृष्णजी के लिए राजकोट के पाटडिया ज्वेलर्स ने मुकुट तैयार किया है. भारत के ज़्यादातर जैन मंदिरों में इन्हीं के द्वारा बनाए गए आभूषण मंगवाए जाते हैं.
पाटडिया ज्वेलर्स को भगवान के चक्षु यानि आंखें बनाने में महारत हासिल है. आंखों का डिजाई सोने-चांदी और हीरे से किए जाते हैं. इन्हें चक्षुवाला नाम से भी जाना जाता है. ख़ास बात यह है कि इनका परिवार दो पीढ़ियों से इस काम में लगा है.
द्वारकाधीशजी के श्रंगार में मुकुट, कुंडल और पाटियारा शामिल होते हैं. वहीं कंठ, शंख, चक्र, गदा, आयुध, अल्कावरी, चरण, पादुका और तिलक भी लगाए जाते हैं. द्वारकाधीशजी को तारीखों के मुताबिक़ पोशाक पहनाई जाती है और तारीखों के मुताबिक़ ही श्रंगार भी किया जाता है.
जन्माष्टमी के मौके पर सुबह 6 बजे मंगला आरती होगी. रात 8 बजे अभिषेक, 9 बजे श्रंगार, 11 बजे श्रंगार आरती, 12 बजे राजभोग, 1 बजे मंदिर बंद होंगे. वहीं शाम 5 बजे मंदिर के पट खुलेंगे, 7.30 बजे संध्या आरती होगी, रात 9 बदे मंदिर बंद होंगे और फिर रात 12 बजे जन्मोत्सव और आरती होगी.
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