ओडिशा। भुवनेश्वर में जगन्नाथ संस्कृति के अनुसार जन्माष्टमी मनाई गई। जन्माष्टमी का त्योहार आ गया है. हम जब भी प्रेम और त्याग की बात करते हैं तो श्रीकृष्ण और राधा का जिक्र सबसे पहले होता है. दोनों का नाम एक साथ तो लिया जाता है, लेकिन दोनों कभी एक न हो सके.
श्रीकृष्ण को बचपन से ही राधा से लगाव था. श्रीकृष्ण जब 8 साल के थे, तब दोनों को एक दूसरे से प्रेम हुआ. राधा श्रीकृष्ण के दैवीय गुणों से परिचित थीं. उन्होंने जिंदगी भर अपने मन में प्रेम की स्मृतियों को संजोए रखा. यही वजह थी कि एक दूजे से बिछड़ने के बाद भी दोनों का प्रेम जिंदा रहा.
कृष्ण के वृंदावन छोड़ने के बाद से ही राधा का वर्णन बहुत कम मिलता है. कहते हैं कि राधा और कृष्ण जब आखिरी बार मिले थे तो राधा ने कृष्ण से कहा था कि भले ही वो उनसे दूर जा रहे हैं, लेकिन मन से कृष्ण हमेशा उनके साथ ही रहेंगे. इसके बाद कृष्ण मथुरा गए और कंस और बाकी राक्षसों का वध किया. इसके बाद प्रजा की रक्षा के लिए कृष्ण द्वारका चले गए और द्वारकाधीश के नाम से जाने गए. श्रीकृष्ण के वृंदावन से जाने के बाद राधा की जिंदगी ने अलग ही मोड़ ले लिया था. राधा का विवाह किसी और से हो गया. राधा ने अपने दांपत्य जीवन की सारी रस्में निभाईं. वो बूढ़ी हो गई, लेकिन मन कृष्ण के लिए प्रेम कभी कम नहीं रहा.
#WATCH ओडिशा: भुवनेश्वर में जगन्नाथ संस्कृति के अनुसार जन्माष्टमी मनाई गई। pic.twitter.com/PO9yTQmLt5
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 6, 2023