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जम्मू-कश्मीर: टेरर फंडिंग केस में NIA का बड़ा एक्शन, अनंतनाग में चार जगहों पर छापेमारी के दौरान एनआईए ने पांच लोगों को किया गिरफ्तार
Renuka Sahu
11 July 2021 5:06 AM GMT
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फाइल फोटो
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की मदद के आरोप में 11 सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी के बाद एक और बड़ी खबर है। कश्मीर में टेरर फंडिंग केस में एनआईए ने बड़ा एक्शन लिया है और जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग समेत कई जगहों पर एनआईए छापेमारी कर रही है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की मदद के आरोप में 11 सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी के बाद एक और बड़ी खबर है। कश्मीर में टेरर फंडिंग केस में एनआईए ने बड़ा एक्शन लिया है और जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग समेत कई जगहों पर एनआईए छापेमारी कर रही है। अनंतनाग में जहां चार जगहों तो श्रीनगर में एक जगह पर छापेमारी हो रही है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुतुाबिक, अनंतनाग में चार जगहों पर छापेमारी के दौरान एनआईए ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया है, वहीं, एक श्रीनगर से गिरफ्तार हुआ है।
बताया जा रहा है कि आतंकियों को फंडिंग के मामले में एनआईए को अहम सुराग मिले हैं। एनआईए की ये छापेमारी ऐसे वक्त में हो रही है, जब एक दिन पहले ही जम्मू कश्मीर सरकार ने आतकंवादी संगठनों के सहयोगी के रूप में कथित तौर पर काम करने को लेकर हिज्बुल मुजाहिदीन सरगना सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों और दो पुलिस कर्मियों सहित अपने 11 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया।
Jammu and Kashmir: NIA raids underway at multiple locations including Anantnag. Details awaited.
— ANI (@ANI) July 11, 2021
अधिकारी ने बताया कि बर्खास्त किये गये कर्मचारी शिक्षा, पुलिस, कृषि, कौशल विकास, बिजली, स्वास्थ्य विभाग तथा एसकेआईएमएस (शेर ए कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से थे। अधिकारियों ने बताया कि इन 11 कर्मचारियों में अनंतनाग से चार, बडगाम से तीन और बारामूला, श्रीनगर, पुलवामा तथा कुपवाड़ा से एक-एक हैं। उन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत बर्खास्त किया गया है। इस अनुच्छेद के तहत कोई जांच नहीं की गई और बर्खास्त कर्मचारी राहत पाने के लिए सिर्फ उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि इस तरह के मामलों की निगरानी के लिए गठित समिति ने अपनी दूसरी और चौथी बैठक में क्रमश: तीन और आठ कर्मचारियों को सरकारी सेवा से बर्खास्त करने की सिफारिश की थी। उन्होंने बताया कि हिज्बुल मुजाहिदीन के सरगना के बेटों सैयद अहमद शकील और शाहिद युसूफ को भी आतंकी वित्त पोषण में कथित तौर पर संलिप्त रहने को लेकर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि उनमें से एक एसकेआईएमएस में कार्यरत था जबकि दूसरा शिक्षा विभाग में था।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण ने दोनों व्यक्तियों के तार आतंकी वित्त पोषण से जुड़े होने का पता लगाया था। उन्होंने बताया कि समिति की दूसरी बैठक में जिन तीन कर्मचारियों की बर्खास्तगी की सिफारिश की गई, उनमें कुपवाड़ा में आईटीआई में कार्यरत एक व्यक्ति भी शामिल है जो आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा को मदद पहुंचाता था। अधिकारियों ने बताया कि वह सुरक्षा बलों की आवाजाही के बारे में आतंकी संगठनों को सूचना देता था और आतंकवादियों को गुप्त तरीके से गतिविधियां करने में मदद करता था।
उन्होंने बताया कि उसके अलावा दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग के दो शिक्षक राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाये गये। वे जमात इस्लामी और दुख्तारन ए मिल्लत की अलगाववादी विचारधारा का प्रसार कर रहे थे। अधिकारियों ने बताया कि समिति की चौथी बैठक में जिन आठ सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी की सिफारिश की गई, उनमें जम्मू कश्मीर पुलिस के दो कांस्टेबल भी शामिल हैं, जिन्होंने पुलिस विभाग के अंदर से आतंकवाद को सहयोग दिया और आतंकवदियों को आंतरिक सूचना मुहैया की तथा साजो सामान से मदद की।
अधिकारियों ने बताया कि सेवा से बर्खास्त कर दिये गये शिक्षा विभाग में कार्यरत जब्बार अहमद पारे और निसार अहमद तंत्राये पाकिसतान से प्रायोजित अलगावादी एजेंडा को बढ़ाने और जमात ए इस्लामी की विचारधारा का प्रसार करने में सक्रिय रूप से संलिप्त था। उन्होंने बताया कि बिजली विभाग में निरीक्षक के रूप में कार्यरत शाही अहमद लोन को हिज्बुल मुजाहिदीन के लिए हथियारों की तस्करी और परिवहन में संलिप्त पाया गया। उन्होंने बताया कि वह पिछले साल जनवरी में दो आतंकवादियों के साथ श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर यात्रा करने और हथियार, गोला बारूद तथा विस्फोटक ले जाते पाया गया था।
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