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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हाल ही में मदरसों का सर्वे कराने के निर्देश दिए थे. इसके विरोध में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मंगलवार को बैठक की. मीटिंग में यूपी के विभिन्न जिलों के मदरसों के प्रधानाध्यापकों ने शिरकत की. बताया जा रहा है कि इस बैठक में यूपी सरकार के सर्वे के आदेश के खिलाफ कई प्रस्ताव पास किए जाएंगे. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारुकी भी बैठक में पहुंचे हैं. ये बैठक जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी की ओऱ से बुलाई गई है.
दिल्ली: जमीअत उलेमा-ए-हिन्द ने राज्य में गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण करने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर एक बैठक की। pic.twitter.com/C7Jqa6xpT1
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 6, 2022
बैठक में कमाल फारुकी ने कहा कि सरकार मदरसों को टारगेट कर रही है. मदरसों पर बुलडोजर चला रही है. इस दौरान उन्होंने कहा कि मदरसे हमारे हकूक का मामला है. सभी मदरसे मॉडर्न हो रहे हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बैठक में सर्वे पर सवाल उठाया गय़ा है. इस दौरान मौलाना इश्तियाक अहमद कादरी ने सरकार के सर्वे पर कहा कि अगर नीयत ठीक है, तो उसका स्वागत है, लेकिन मदरसे मदद से पहले से ही कई परेशानियों से जूझ रहे हैं. उन्होंने कहा कि साढ़े 16 हजार मदरसों में से केवल 500 को सरकार की मदद मिलती है, बाकी सब चंदे के सहारे चल रहे हैं. ऐसे में उन पर सवाल करना ठीक नहीं है.
इश्तियाक अहमद कादरी ने कहा कि मदरसों के पास पाने के लिए कुछ नहीं है, जबकि खोने के लिए सब कुछ है. उन्होंने कहा कि मदरसों को लेकर सरकार का अनुभव पहले से ही अच्छा नहीं रहा. ऐसे में भरोसा करना मुश्किल है. सरकारी स्कूलों में पहले ही पढ़ाई नहीं हो रही. ऐसे में मदरसों के हालात को बेहतर करने के लिए सरकार ने क्या किया?
कादरी ने कहा कि जब सरकार स्कूलों को प्राइवेट कर रही है, तो प्राइवेट तौर पर चल रहे मदरसों को लेकर सवाल क्यों कर रही है. जो कि बिना किसी मदद के शिक्षा दे रहे हैं. इसके साथ ही कहा कि घटनाएं कहां नहीं होतीं. कई कोचिंग सेंटर्स में बच्चों को पीटा गया. वहां कोई कार्रवाई नहीं हुई. लेकिन मदरसे पर सवाल किया गया. उन्होंने कहा कि बच्चों को दलित होने के नाम पर पीटकर मारा गया. उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. लेकिन 16000 मदरसों की स्थिति और उनके शिक्षकों के लिए सरकार ने क्या किया? मदरसों में पढ़ रहे बच्चों ने कहा कि हम यहां की तालीम से खुश हैं. इस पर सवाल नहीं होना चाहिए. हजरत और उस्ताद बखूबी पढ़ाते हैं. यहां की तालीम बेहतर है, कोई दिक्कत नहीं है.
वहीं, यूपी के अल्पसंख्यक राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि यह सर्वे मुस्लिम नौजवानों की तरक्की के लिए जरूरी है. जो कि तय समय पर होगा. उन्होंने कहा कि यह सरकार सब की सरकार है और अल्पसंख्यक समाज के लिए सरकार गंभीर है. इसके लिए सबका सहयोग चाहिए. उन्होंने जमीयत की बैठक पर कहा कि इस मुद्दे पर कोई भी चर्चा कर सकता है. अपना विचार रख सकता है.
मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि सरकार का मदरसों को बर्बाद नहीं, बल्कि आबाद करने का प्लान है. एक शिकायत आई थी कि लखनऊ के मदरसे में एक बच्चे को जंजीर से बांधा गया है. इसके बाद ही सर्वे हो रहा है.उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि मदरसों में छात्रों की संख्या, शिक्षकों की स्थिति, इंफ्रास्ट्रक्चर को जाना जाए. इस पर सवाल करना ठीक नहीं है.
अगर मदरसों में कोई घटना हो या शिकायत आए, तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की होती है. इसीलिए सर्वे के जरिए ये आंकड़ा जानना जरूरी है. मदरसों के मामले में कोई दखल नहीं होगा. सरकार केवल अपनी योजनाओं से इन्हें जोड़ने की कोशिश कर रही है. हर कोई हमारे सहयोग में है. सभी के साथ संवाद करके अल्पसंख्यक नौजवानों के भविष्य के लिए सरकार काम करेगी. सर्वे नॉर्मल है. चिंता का विषय नहीं है.
वहीं, यूपी बीजेपी प्रवक्ता समीर सिंह ने कहा कि जमीअत उलेमा-ए-हिंद की सोच दकियानूसी है. सरकार सभी के लिए सोचती है. ऐसे में सर्वे पर सवाल करना गलत है, सरकार लगातार उनके लिए काम कर रही है, ऐसे में मौलाना और मौलवी शिक्षा को धर्म के चश्मे से नहीं, बल्कि शिक्षा की नजर से देखें.
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