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जाको राखे साईंया मार सके ना कोय...ये कहावत एक बार फिर सही साबित हुई

jantaserishta.com
15 Feb 2023 6:56 AM GMT
जाको राखे साईंया मार सके ना कोय...ये कहावत एक बार फिर सही साबित हुई
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DEMO PIC | न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

बच्चा लगभग 15 मिनट तक डूबा रहा.
नई दिल्ली: दिल्ली में एक भयंकर दुर्घटना में एक डेढ़ साल का मासूम बच्चा साबुन और पानी से भरी टॉप लोडिंग वाशिंग मशीन में गिर गया. इतना ही नहीं बल्कि वह उस पानी में लगभग 15 मिनट तक रहा डूबा रहा. सात दिन कोमा और वेंटीलेटर पर और फिर 12 दिन वार्ड में रहने के बाद वह चमत्कारिक रूप से ठीक हो गया है और घर चला गया है. बच्चा वसंत कुंज के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती था. अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि अब बच्चा सामान्य व्यवहार कर रहा है और ठीक से चल रहा है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार डॉक्टरों के बताया, जब उसे अस्पताल लाया गया तो लड़का बेहोश और ठंडा था और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. नियोनेटोलॉजी एंड पीडियाट्रिक्स के निदेशक डॉ राहुल नागपाल ने कहा, "बच्चा नीला पड़ गया था और हांफ रहा था, उसका हार्ट रेट कमजोर था और कोई पल्स और बीपी नहीं था."
डॉक्टर ने बताया कि बच्चे मां के मुताबिक, टॉप लोडिंग वाशिंग मशीन में बच्चा 15 मिनट तक साबुन के पानी के अंदर रहा, जिसका ढक्कन खुला हुआ था. वह कमरे से बाहर चली गई थी और लौटने पर कुछ देर तक उसे बच्चा नहीं मिला. वह जाहिरा तौर पर एक कुर्सी पर चढ़कर मशीन में गिर गया था. डॉ नागपाल ने बताया "बच्चे के पानी के भीतर रहने का समय शायद 15 मिनट से कम होगा, वरना वह जीवित नहीं बच सकता था. उन्होंने कहा कि फिर भी मासूम का बच जाना एक चमत्कार ही है.
बाल रोग विभाग की कंसल्टेंट डॉ हिमांशी जोशी ने कहा कि बच्चे को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था. साबुन के पानी की वजह से उसके विभिन्न अंगों पर गलत प्रभाव पड़ा था, जिसमें इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस भी शामिल था. उसे कैमिकल न्यूमोनिटिस (जीवाणु निमोनिया- फेफड़ों की सूजन या कैमिकल स्मोक में सांस लेने या कुछ कैमिकल्स में सांस लेने के कारण सांस लेने में कठिनाई) हो गया था. बाद में उसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन भी हो गया.
उन्होंने कहा कि बच्चे को आवश्यक एंटीबायोटिक्स और आईवी फ्लूइड सपोर्ट दिया गया, जिसके बाद वह ठीक होने लगा. धीरे-धीरे वह अपनी मां को पहचानने लगा और उसे वेंटिलेटर से हटा दिया गया. रोगी को बाल चिकित्सा आईसीयू में सात दिनों तक रखा गया, इसके बाद उसे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया जहां वह 12 दिनों तक रहा. डॉक्टरों ने कहा कि किसी भी न्यूरोलॉजिकल कॉम्प्लीकेशन का आकलन करने के लिए उसका सीटी ब्रेन किया गया था, लेकिन उसके मस्तिष्क को कोई नुकसान नहीं दिखा है. बच्चे का आगे इलाज चल रहा है.
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