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जेल ने कोपर्डी बलात्कार-हत्या मामले में दोषी की आत्महत्या की जांच के आदेश दिए

Shantanu Roy
10 Sep 2023 5:55 PM GMT
जेल ने कोपर्डी बलात्कार-हत्या मामले में दोषी की आत्महत्या की जांच के आदेश दिए
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पुणे(आईएएनएस)। एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में जुलाई 2016 में 15 वर्षीय स्कूली छात्रा के साथ सनसनीखेज कोपर्डी सामूहिक बलात्कार-सह-हत्या मामले में निचली अदालत से मौत की सजा पाए एक दोषी ने रविवार तड़के यहां यरवदा सेंट्रल जेल में आत्महत्या कर ली। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। 32 वर्षीय जीतेंद्र बाबुला शिंदे उर्फ पप्पू अपनी कोठरी में लटका हुआ पाया गया। घटना के कुछ घंटों बाद, जेल अधिकारियों ने आत्महत्या मामले की जांच के आदेश दिए। एक अधिकारी ने कहा, 32 वर्षीय शिंदे कुछ मानसिक समस्याओं से पीड़ित था और कुछ समय से उनका मनोरोग उपचार चल रहा था।
सुबह लगभग 5.58 बजे, एक जेल परिचारक ने शिंदे को उसकी कोठरी के दरवाजे पर फटे तौलिये से लटका हुआ देखा और तुरंत मदद बुलाई। उसके सहकर्मी वहां पहुंचे, उसे नीचे लाया और उसके जीवित होने का संदेह करते हुए जेल डॉक्टर को सूचित किया जिन्होंने उसकी जांच की और बाद में उसे मृत घोषित कर दिया। शव को पोस्‍टमॉर्टम के लिए भेजकर उसके परिवार के सदस्यों को सूचित किया गया। आत्महत्या मामले की जांच शुरू कर दी गई है, हालांकि इसका कारण अभी स्‍पष्‍ट नहीं है।
शिंदे की आत्महत्या के बाद, उन कोठरियों में निगरानी बढ़ा दी गई है जहां इसी मामले के अन्य सह-दोषी - 36 वर्षीय संतोष गोरखा भवाल और 34 वर्षीय नितिन गोपीनाथ भैलुमे भी बंद हैं। शिंदे, भवाल (36) और भैलुमे (34) को दोषी पाया गया और अपराध के 16 महीने बाद नवंबर 2017 में आईपीसी और पोक्‍सो एक्‍ट की विभिन्‍न धाराओं के तहत बलात्कार, साजिश, अपहरण, हत्या और अन्य अपराधों के लिए मौत की सजा दी गई।
दोषियों में से एक के वकील विजयलक्ष्मी खोपड़े ने आईएएनएस को बताया कि दोषी तिकड़ी की मौत की सजा पर अभी तक बॉम्बे हाई कोर्ट की मुहर नहीं लगी है और संबंधित कार्यवाही प्रक्रिया में है। कक्षा 9 में पढ़ने वाली नाबालिग पीड़िता 13 जुलाई 2016 को कुछ सामान लाने के लिए पास में अपनी दादी के घर गई थी। कथित तौर पर तीनों ने उसे बहला-फुसलाकर उसका अपहरण कर लिया और फिर उसका बलात्कार और हत्या कर दी।
राज्य सरकार ने अहमदनगर में फास्ट ट्रैक कोर्ट के समक्ष कानूनी लड़ाई का निर्देशन करने के लिए विशेष अभियोजक उज्ज्वल निकम को नियुक्त किया था। अदालत ने 16 महीने बाद नवंबर 2017 में अपना फैसला सुनाया। इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद मराठा समुदाय ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर कई मौन जुलूस निकाले थे।
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