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' ...बहुत देर हो चुकी' , हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को लगाई फटकार, जानें हैरान करने वाला मामला
jantaserishta.com
14 March 2024 8:19 AM GMT
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याचिकाकर्ता की मांग थी कि केंद्र सरकार उसके साथ विलय की प्रक्रिया पूरी करे और मुआवजा भी दे।
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को ना सिर्फ कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की याचिका को खारिज कर दिया बल्कि एक लाख रुपए जुर्माना भी लगा दिया। यदि आप इस नाम से परिचित नहीं हैं तो बता दें कि कुंवर महेंद्र वह शख्स हैं जिन्होंने यमुना से गंगा के बीच सारी जमीन पर दावा ठोक दिया था। आगरा से गुरुग्राम और दिल्ली से देहरादून तक 65 रेवेन्यू स्टेट पर दावा करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी।
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रितम सिंह अरोड़ा ने सिंगल बेंच के आदेश के बरकरार रखा, जिसने याचिका को खारिज करते हुए 10 हजार रुपए जुर्माना लगाया था। याचिकाकर्ता की मांग थी कि केंद्र सरकार उसके साथ विलय की प्रक्रिया पूरी करे और मुआवजा भी दे। बेंच ने कहा, 'आप कह रहे हो कि गंगा से यमुना तक की सारी जमीन आपकी है। आप किस आधार पर आए हैं? 75 साल बाद (आजादी के) आप जागे हैं?' कोर्ट ने आगे कहा, 'शिकायत 1947 के लिए है। क्या बहुत देर नहीं हो गई इस दावे के लिए? यह 1947 की बात है और हम 2024 में हैं। बहुत साल बीत गए। आप राजा हो या नहीं, हम नहीं जानते। आप 1947 में जिस चीज के लिए वंचित रहे उसका दावा आज नहीं कर सकते।'
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा, 'हम अब आपकी मदद नहीं कर सकते हैं। बहुत देर हो चुकी है। हम कैसे जानेंगे कि आप मालिक हैं। हमारे पास कागजात नहीं हैं।' गौरतलब है कि कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह ने खुद को बेसवां परिवार का वंसज बताया है। कुंवर महेंद्र की यह भी डिमांड थी कि जब तक विलय की प्रक्रिया नहीं हो जाती दावे वाले क्षेत्र में लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और निकाय के चुनाव ना कराए जाएं। याचिकाकर्ता ने कहा था कि वह राजा ठाकुर मत मतंग ध्वज प्रसाद के इकलौते जीवित बचे बेटे हैं। उन्होंने खुद को बेसवां अभिभाज्य राज्य का राजा बताया था। प्रिस्ली स्टेट का दर्जा होने का दावा करते हुए उन्होंने यमुना और गंगा के बीच अपना साम्राज्य बताया था। 2022 में उन्होंने कुतुब मीनार पर दावा करते हुए साकेत कोर्ट में भी याचिका दायर की थी।
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