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आश्रम की बेशकीमती संपत्ति हड़पने सेवादारों ने ही उतारा संत को मौत के घाट, ऐसे खुला राज
jantaserishta.com
20 Oct 2024 2:45 AM GMT
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दो फरार.
हरिद्वार: हरिद्वार में बेहद सनसनीखेज खुलासा करते हुए लापता चल रहे एक आश्रम के संत की हत्या कर शव गंगा में फेंकने की वारदात का खुलासा हुआ है। संत को नशे का इंजेक्शन लगाकर उसकी गला घोंटकर मर्डर कर दिया गया। पुलिस ने हत्या में शामिल चार हत्यारोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि दो लोग फरार चल रहे हैं।
करीब 10 करोड़ की संपत्ति को हड़पने के मकसद से ही संत की हत्या की गई थी। एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल ने जानकारी देते हुए बताया कि 17 अक्तूबर को रुद्रानंद पुत्र श्यामलहरी गिरी, निवासी रायवाला गौरी गीता आश्रम बिरला मंदिर देहरादून ने सूचना दी कि ज्ञानलोक कालोनी में बने श्रद्धाभक्ति आश्रम के परमाध्यक्ष उसके गुरु महंत गोविंद दास शिष्य बिशम्बर दास महाराज 15 जून से लापता चल रहे है। वे धर्म के प्रचार के लिए राजस्थान गए थे।
बताया कि तुरंत ही संत की खोज में जुटी पुलिस टीम जब आश्रम में पहुंची तब उनकी गददी पर एक अन्य कथित संत रामगोपाल नाथ मौजूद मिला। संदेह होने पर पूछताछ करने पर रामगोपाल नाथ ने आश्रम परमाध्यक्ष गोविंद दास की हत्या करने की सनसनीखेज जानकारी बयां कर दी।
एसएसपी ने बताय कि कपड़े की फेरी करने वाला अशोक कुमार पुत्र रघुवीर सिंह, निवासी मकान नंबर 57 गली नंबर दो दुर्गापुरी एक्टेन्शन शहादरा थाना ज्योतिनगर दिल्ली फरवरी माह में यहां फेरी करने के दौरान आश्रम में ठहरा था। उसकी जान पहचान संत से वर्ष 2021 से चली आ रही थी।
इसलिए वह तीन माह से यहां ठहरा था। इस दौरान उसके साथी ललित पुत्र दिनेश शर्मा, निवासी पृथ्वी विहार नियर एफसीआई गोदाम मेरठ रोड थाना 32 सेक्टर करनाल हरियाणा, संजीव कुमार त्यागी पुत्र शरदचंद, निवासी मुंडेत मंगलौर हरिद्वार और योगी रामगोपाल नाथ उर्फ गोपाल सिंह पुत्र स्व. मनफूल सिंह निवासी ग्राम कोहरा सजेती तहसील घाटमपुर जिला कानपुर नगर यूपी भी उससे मिलने आते रहते थे।
आश्रम की जानकारी हासिल कर बाबा का उत्तराधिकारी न होने पर उसकी हत्या कर संपत्ति हड़पने का ताना बाना बुना। योजना के तहत आश्रम कैंपस में लगे सीसीटीवी कैमरे हटा दिए गए। एक जून को महंत गोविंद दास को नशे का इंजेक्शन लगाकर बेहोश होने के बाद गला घोंटकर हत्या कर दी। शव को स्कूटर पर ले जाकर गंगा की मुख्य धारा में फेंक दिया।
उसके बाद गोपाल सिंह को रामगोपाल नाथ बनाकर आश्रम की गददी पर बैठा दिया। आमजन के पूछने पर संत के धर्म के प्रचार के लिए अयोध्या जाने की बात प्रचारित की जाने लगी। उसके बाद आरोपी प्रॉपर्टी डीलर संजीव त्यागी की मदद से संत के जाली हस्ताक्षर कर फर्जी वसीयतनामा बना लिया।
बताया कि संपत्ति को दस करोड़ में बेचने की तैयारी थी। हत्याकांड के मास्टर माइंड अशोक के कब्जे से मृतक संत की 16 लाख रुपये की पंजाब नेशनल बैंक की मूल एफडी, दो चेक बुक और फर्जी वसीयतनामे की कॉपी मिली है। इसके अलावा निशानदेही पर प्रयुक्त किए गए इंजेक्शन, नशीली गोली का पत्ता भी रिकवर किया गया है।
बताया कि दो आरोपी सौरभ और प्रदीप फरार चल रहे है, जिनकी धरपकड़ के प्रयास जारी है। बताया कि विवेचना के दौरान सामने आने वाले तथ्य के अनुसार ही कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह, सीओ सिटी जूही मनराल, एसओ मनोज नौटियाल मौजूद रहे।
मास्टर माइंड अशोक ने महंत की हत्या करने के बाद 50 लाख की एफडी, चेक बुक, मोबाइल फोन से लेकर अन्य दस्तावेज कब्जे में ले लिए थे। संत के मोबाइल फोन में अलग-अलग सिम कार्ड का इस्तेमाल कर रहा था। यही नहीं चेक पर संत के फर्जी हस्ताक्षर कर 10 लाख की रकम भी निकाल ली थी। अब एफडी को कैश कराने की तैयारी थी। आश्रम में आने वाले सेवादारों से लेकर संत के परिचितों को लगातार गुमराह किया जा रहा था।
हरिद्वार। संत गोविंद राम दास के शव को लक्सर मार्ग पर ले जाकर गंगा में फेंका गया है। कई माह गुजरने के बाद शव मिलना मुश्किल प्रतीत होता है। जल पुलिस की मदद से कनखल पुलिस शव की तलाश में जुटी है।
हत्याकांड में शामिल रहे आरोपियों का आपराधिक इतिहास भी निकलकर सामने आया है। पुलिस की माने तो सभी आरोपी दसवीं-बारहवीं तक पढ़े लिखे है। मास्टर माइंड अशोक वर्ष 2004 में बाइक चोरी के मामले में जेल जा चुका है जबकि एक अन्य आरोपी ललित करनाल में एक ज्वैलर्स शोरूम में हुई लूट के मामले में जेल जा चुका है।
मास्टर माइंड अशोक ने अपने ही नाम पर वसीयत बनाई थी। आश्रम को साथी प्रदीप और सौरभ की मदद से बेचने की पूरी तैयारी थी। करीब एक बीघा में बने आश्रम को देखने कई लोग भी आ चुके थे लेकिन रेट को लेकर बात नहीं बन पाई थी। पुलिस की माने तो वेस्ट यूपी से ताल्लुक रखने वाले प्रदीप और सौरभ हत्या के दिन अशोक के ही साथ थे और फर्जी वसीयत की कॉपी प्रदीप के ही पास है।
दरअसल संत गोविंद दास का चेला रुद्रानंद जब आश्रम पहुंचा तब वहां उसे दूसरा संत बैठा मिला। उसने जब मालूमात की तब उसे उसकी हरकत पर संदेह हुआ। तब वहां उसकी मुलाकात अशोक से भी हुई। उन्होंने बाबा के प्रचार से लौटकर न आने की बात पर पुलिस से शिकायत करने की बात कही तो वे सकपका गए। संदेह होने पर रुद्रानंद ने पुलिस से संपर्क साधा। उसके बाद संत की हत्या का सनसनीखेज खुलासा हुआ।
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