नई दिल्ली। विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित, जम्मू-कश्मीर राइफल्स से सम्बद्ध मेजर जनरल जीडी बख्शी (सेवानिवृत्त), जो कारगिल युद्ध में एक बटालियन की कमान संभाल रहे थे, ने 'जनता से रिश्ता' के साथ एक विशेष साक्षात्कार में सैनिकों के वीरतापूर्ण कार्यों पर अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि गोली लगने पर जवानों को कराहने की भी इजाज़त नहीं थी। इसके अलावा उन्होंने लद्दाख में भारत-चीन सैन्य गतिरोध पर भी बड़ी बेबाकी से अपनी राय रखी।
साक्षात्कार के प्रमुख अंश...
कारगिल में पाकिस्तान के विश्वासघाती हमले पर आपकी टिप्पणी?
1998 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बस से लाहौर गए, संधि पर हस्ताक्षर हुए। उम्मीद की थी कि अब शांति होगी। लेकिन उसी समय पाकिस्तान के जनरल परवेज मुशर्रफ कारगिल में हमला करके भारत की पीठ में छुरा घोंपने की योजना बना रहे थे। भारत ने बड़ी कीमत चुकाई, हमारे 550 से अधिक जवानों ने अपनी जान दी और लगभग 2000 घायल हुए। लेकिन हमने पाकिस्तान को धूल चटा कर ही दम लिया और इससे भारत को विश्व मंच पर बहुत सम्मान मिला।
भारत-तिब्बत सीमा, दक्षिण चीन सागर, ताइवान, पूर्वी एशियाई देश – चीन के बढ़ते दुस्साहस को आप कैसे देख रहे हैं?
कोविड-19 को पूरी दुनिया में फैलाने के लिए चीन सरकार जिम्मेदार है। यह वुहान वायरस है, यह एक चीनी वायरस है। चाहे उन्होंने इसे गलती से किया हो या उन्होंने इसे जान-बूझकर जैविक युद्ध के हिस्से के रूप में जारी किया हो, सच्चाई यह है कि चीन इसके लिए जिम्मेदार है। चीन ने अचानक ताइवान, जापान, वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलीपींस और मलेशिया के खिलाफ बहुत आक्रामक कार्रवाई शुरू कर दी है। यह हमें भी युद्ध में धकेलने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में किसी को चीन के सामने खड़ा तो होना ही होगा और उसके उकसावे पर नकेल कसना होगा।
चीन ने करीब 41 साल पहले युद्ध लड़ा था और वियतनाम से हार गया था। भारत ने 22 साल पहले कारगिल युद्ध लड़ा और पाकिस्तान को हराया। सैन्य वार्ता हो या युद्ध, क्या भारत का पलड़ा भारी है?
1962 के बाद से ब्रह्मपुत्र से लाखों टन पानी नीचे बह चुका है। आज हमारी सेना पहले से बहुत बेहतर सेना है। जैसा कि आपने बिल्कुल सही बताया कि चीनी सेना ने 1979 से युद्ध नहीं लड़ा है। वियतनाम के खिलाफ वे सबसे खराब स्थिति में थे। अगर हम चीन को बिना लड़े भाग जाने देते हैं तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? हम दोषी हैं। हमें लड़ना चाहिए क्योंकि अब हम चीनियों से काफी बेहतर हैं।
क्या हमें चीन की ओर से शांति वार्ता के प्रस्तावों के झांसे में आना चाहिए?
चीन ने शांति की बात करके सिर्फ अपनी ताकत बढाई है। चीन को उसकी दवा का स्वाद खुद ही उसे चखाना चाहिए। जैसा हमने 1967 में फैसला करके उन्हें झटका दिया था... हमें उन्हें एक और झटका देना चाहिए, तभी चीन कुछ समय के लिए शांत होगा। नहीं तो वह उकसावे की हरकत करता रहेगा। चीन केवल शक्ति की भाषा ही समझेगा।
मौजूदा परिप्रेक्ष्य में आप सरकार को क्या संदेश देना चाहते हैं?
मैं सरकार से अपील करना चाहता हूं कि वह मजबूती से खड़े रहें और अगर आप शांति चाहते हैं तो युद्ध के लिए तैयार हो जाइए। भारतीय सशस्त्र बल काफी मजबूत है। भारत चीन और पाकिस्तान दोनों से एक साथ निपटने में सक्षम है। हम जानते हैं कि तमाम कोशिशों के बाद भी चीन शांति नहीं चाहता है। हमें लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए और तभी वे पीछे हटेंगे। हमारे पास समुन्नत सैन्य बल है, तो हमें आवश्यकता पड़ने पर इसका उपयोग करने में सक्षम होना होगा।