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ISRO का मिशन चंद्रयान-3, अंतरिक्ष यात्री के बयान को सुनकर आप हो जाएंगे गदगद

jantaserishta.com
9 Dec 2023 6:12 AM GMT
ISRO का मिशन चंद्रयान-3, अंतरिक्ष यात्री के बयान को सुनकर आप हो जाएंगे गदगद
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Chandrayaan-3: इसरो के मून मिशन चंद्रयान-3 की सफलता ने दुनिया भर में झंडे गाड़ दिए हैं। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद कई विदेशी वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष यात्रियों ने इसकी तारीफ में कसीदे पढ़े हैं। अब स्वीडिश अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टर फुगलेसांग ने चंद्रयान-3 की सफलता को अद्भुत और शानदार बताया। उन्होंने कहा कि वह इसी तरह के भारतीय मिशन का इंतजार कर रहे हैं। एएनआई के साथ एक इंटरव्यू में फुगलेसांग ने कहा कि वह गगनयान मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरते हुए देखना चाहते हैं।

चंद्रयान-3 की सफलता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “विक्रम लैंडर और रोवर की जिस तरह की लैंडिंग हुई, मुझे लगा कि यह बहुत शानदार था। यह वास्तव में अद्भुत था और मुझे लगता है कि पूरी दुनिया इसके लिए सराहना कर रही थी। मैं बहुत उत्साहित हूं, और इस तरह के अगले भारतीय मिशन का इंतजार कर रहा हूं। एक अंतरिक्ष यात्री होने के नाते, भारतीय रॉकेट और भारतीय कैप्सूल के जरिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष की उड़ान भरते हुए देखना चाहता हूं।”

उल्लेखनीय है 23 अगस्त को चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरते ही भारत ने एक बड़ी छलांग लगाई, जिससे यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश बन गया। उतरने के बाद, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने लगभग 14 दिनों तक चंद्र सतह पर अलग-अलग कार्य किए।

क्रिस्टर फुगलेसांग ने कहा कि स्वीडन और भारत के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में एक साथ काम करने की काफी संभावनाएं हैं। स्वीडिश अंतरिक्ष निगम अंतरिक्ष के सतत उपयोग के लिए सेवाएं विकसित कर रहा है, जो दोनों देशों के लिए पारस्परिक हित का क्षेत्र है। उन्होंने ‘अंतरिक्ष स्थिरता’ और जलवायु चुनौतियों से निपटने में अंतरिक्ष रिसर्च की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में भी बात की।

भारत-स्वीडन अंतरिक्ष सहयोग पर उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमारे पास एक साथ काम करने की बहुत सारी संभावनाएं हैं। स्वीडन एक बड़ा देश नहीं है, लेकिन वास्तव में कुछ क्षेत्रों में इसकी तकनीकी क्षमता बहुत अधिक है। भारत के साथ काम करके, हम भारत को बहुत कुछ दे सकते हैं।” बता दें भारत और स्वीडन 35 वर्षों से अधिक समय से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भागीदार रहे हैं, जिसे 1986 में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) द्वारा सुविधाजनक बनाया गया था।

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