भारत

अगस्त- साल 2022 में ISRO लांच करेगा चंद्रयान-3, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में दिया जानकारी

Apurva Srivastav
3 Feb 2022 5:30 PM GMT
अगस्त- साल 2022 में ISRO लांच करेगा चंद्रयान-3, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में दिया जानकारी
x
चांद पर लैंडिंग का अधूरा सपना पूरा करने को इसरो ने अपने अगले अभियान के लिए कमर कस ली है।

नई दिल्ली: चांद पर लैंडिंग का अधूरा सपना पूरा करने को इसरो ने अपने अगले अभियान के लिए कमर कस ली है। इस साल अगस्त में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रयान-3 को लांच करेगा। इस बात की जानकारी सरकार ने संसद में दी है। लोकसभा में लिखित उत्तर में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया, 'चंद्रयान-2 से मिली सीख और राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों के सुझाव के आधार पर चंद्रयान-3 का काम प्रगति पर है। कई हार्डवेयर एवं उनसे संबंधित टेस्ट सफलतापूर्वक पूरे कर लिए गए हैं। अगस्त, 2022 में यान को लांच किया जाएगा।' मंत्री ने इस साल इसरो के अन्य अभियानों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि 2022 में इसरो ने कुल 19 अभियान लांच करने की योजना बनाई है। इसमें आठ लांच व्हीकल मिशन, सात अंतरिक्षयान मिशन और चार टेक्नोलाजी प्रदर्शित करने से संबंधित मिशन होंगे।

कोरोना के कारण हुई देरी
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण कई पूर्व निर्धारित अभियानों में देरी हुई है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में हुए सुधारों और समय के अनुरूप बदलती मांग को देखते हुए कुछ परियोजनाओं की प्राथमिकताएं भी बदली गई हैं। उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-3 को 2021 में ही लांच करने की तैयारी थी, लेकिन महामारी के कारण उपजी परिस्थितियों में ऐसा नहीं हो पाया।
चंद्रयान-2 के पूरक की तरह होगा यह मिशन

इसरो ने जुलाई, 2019 में चंद्रयान-2 लांच किया था। आर्बिटर, लैंडर और रोवर के रूप में इसके तीन हिस्से थे। लैंडर और रोवर को चांद की सतह पर उतरकर प्रयोगों को अंजाम देना था। इसका आर्बिटर सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित होकर काम कर रहा है। वहीं, छह सितंबर, 2019 को लैंडिंग के समय लैंडर-रोवर क्रैश हो गए थे। चंद्रयान-3 इसी मिशन के अधूरे काम को पूरा करेगा। इसमें केवल लैंडर और रोवर ही भेजे जाएंगे। आर्बिटर का काम चंद्रयान-2 के साथ भेजा गया आर्बिटर ही करता रहेगा। इसरो के आकलन के मुताबिक यह आर्बिटर साढ़े सात साल तक चांद का चक्कर लगाते हुए जानकारियां जुटाता रहेगा। ऐसे में एक और आर्बिटर भेजने की जरूरत नहीं होगी। लैंडर एवं रोवर का काम चांद की सतह पर उतरकर वहां का अध्ययन करना होगा।
भारत ने ही लगाया था चांद पर पानी का पता
चंद्रयान-2 से पहले भारत ने चांद के अध्ययन के लिए चंद्रयान-1 लांच किया था। इस आर्बिटर मिशन को 22 अक्टूबर, 2008 को लांच किया गया था। इस यान में आर्बिटर के साथ एक इंपैक्टर भी भेजा गया था। आर्बिटर को चांद का चक्कर लगाकर अध्ययन करना था और इंपैक्टर को चांद की सतह से टकराना था। यह इंपैक्टर 14 नवंबर को चांद की सतह से टकराया था। जिस हिस्से से वह टकराया था, उसे जवाहर प्वाइंट नाम दिया गया है। चांद की मिट्टी में पानी का प्रमाण खोजने में इस इंपैक्टर की भी बड़ी भूमिका रही थी। सितंबर, 2009 में इसरो ने घोषणा की थी कि उसने चांद पर पानी का प्रमाण जुटा लिया है।
Next Story