Chandrayaan-4 मिशन की ओर ISRO, इसरो चीफ एस सोमनाथ ने किया बड़ा खुलासा
दिल्ली। चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारकर इसरो पहले ही इतिहास रच चुकी है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ऐसा करने वाली दुनिया की पहली संस्था भी है। चंद्रयान-3 की अपार सफलता के बाद अब इसरो ISRO ने पूरा फोकस चंद्रयान-4 Chandrayaan-4 पर कर लिया है। बुधवार को इसरो चीफ एस सोमनाथ S Somnath ने बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-4 के हिस्से एक नहीं दो लॉन्चिंग में भेजे जाएंगे। इन हिस्सों को पहले कक्षा में भेजा जाएगा और फिर अंतरिक्ष में ही जोड़ा जाएगा। अगर ऐसा हो जाता है तो संभवत: यह दुनिया में पहली बार होगा और चांद पर पहुंचने से पहले ही इसरो इतिहास रच देगा। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-4 का मुख्य लक्ष्य चांद से नमूने लेकर आना है।
आपको बता दें कि इसरो का मिशन चंद्रयान-4 बेहद जटिल और महत्वपूर्ण मिशन है। इस मिशन की सबसे खास बात यह है कि लैंडर इसरो तैयार कर रहा है और रोवर मॉड्यूल जापान बना रहा है। यह मिशन इसरो और जापान की JAXA द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। मिशन के साल 2026 तक चांद में भेजने की तैयारी है। इसरो पहले बता चुका है कि चंद्रयान-4 की लैंडिंग साइट शिव-शक्ति पॉइंट पर होगी। यह वही स्थान है, जहां चंद्रयान-3 की लैंडिंग हुई थी। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रयान-3 ने लैंडिंग के बाद चांद पर कई महत्वपूर्ण स्थानों की खोज की थी। जिसकी नए मिशन में काफी मदद मिलने वाली है।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बुधवार को कहा कि चंद्रयान-4 एक बार में लॉन्च नहीं किया जाएगा, बल्कि इसके बजाय यान के विभिन्न भागों को दो प्रक्षेपणों के माध्यम से कक्षा में भेजा जाएगा। इसके बाद चंद्रमा पर जाने से पहले यान को अंतरिक्ष में ही जोड़ा जाएगा। ऐसा इसलिए करना होगा क्योंकि चंद्रयान -4 की वहन क्षमता इसरो के वर्तमान सबसे शक्तिशाली रॉकेट की क्षमता से भी अधिक होगी।