भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान को अगले साल लांच करने की तैयारियों में पूरी शिद्दत से जुटा हुआ है। इस बीच इस मिशन से जुड़ी कुछ दिलचस्प जानकारियां सामने आई हैं जिनके मुताबिक हफ्तेभर का अभियान पूरा करने के बाद गगनयान को अरब सागर में उतारा जाएगा।
अंतरिक्ष में भारत का पहला मानव मिशन होगा गगनयान
बेंगलुरु स्थित इसरो में ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर (एचएसएफसी) के निदेशक डा. उन्नीकृष्णन नायर ने मनोरमा ईयर बुक, 2022 में 'भारतीय मानव अंतरिक्ष अभियान' शीर्षक से एक लेख लिखा है। इसमें उन्होंने बताया है कि गगनयान आर्बिटल माड्यूल (ओएम) के दो हिस्से हैं, पहला क्रू माड्यूल (सीएम या अंतरिक्ष यात्रियों के रहने का स्थान) और दूसरा सर्विस माड्यूल (एसएम) और उनका वजन करीब 8,000 किलोग्राम है। पृथ्वी की आर्बिट (कक्षा) में परिक्रमा के दौरान ओएम की गति करीब 7,800 मीटर प्रति सेकेंड होगी।
विकल्प के तौर पर बंगाल की खाड़ी पर भी हो रहा विचार
अभियान पूरा करने के बाद क्रू माड्यूल को भारतीय तट के पास अरब सागर में उतारा जाएगा क्योंकि यह अपेक्षाकृत शांत है इसीलिए यह इसके लिए पहली पसंद है। हालांकि विकल्प के तौर पर बंगाल की खाड़ी पर भी विचार किया जा रहा है। मालूम हो कि इसरो ने सतत एवं सस्ते मानव अंतरिक्ष अभियानों के लिए 2019 में बेंगलुरु में एचएसएफसी की स्थापना की थी और गगनयान इसकी पहली परियोजना है। गगनयान के अंतरिक्ष यात्रियों की बचाव प्रणाली के प्रदर्शन की जांच करने के लिए परीक्षण उड़ान और गगनयान का पहला मानवरहित अभियान इस साल की दूसरी छमाही की शुरुआत में निर्धारित है।
डा. नायर ने बताया कि क्रू माड्यूल में दोहरी दीवार वाली प्रणाली होगी और उड़ान के दौरान तीव्र एरोडायनामिक हीटिंग से बचाने के लिए इसमें थर्मल प्रोटेक्टशन सिस्टम (टीपीएस) लगा है। आर्बिटल माड्यूल को ह्यूमन रेटेड लांच व्हीकल (एचआरएलवी) से लांच किया जाएगा जो जीएसएलवी एमके-3 व्हीकल का संशोधित संस्करण है। क्रू माड्यूल में छोटे-छोटे प्रणोदकों का समूह लगाया गया है जिसे वातावरण में फिर से प्रवेश के दौरान नियंत्रित तरीके से फायर किया जाएगा। लैंडिंग के बाद क्रू माड्यूल के को-आर्डिनेट्स (सटीक स्थिति) को विभिन्न पोतों पर प्रतीक्षा कर रही रिकवरी टीमों का साथ साझा किया जाएगा।
क्रू माड्यूल में हर अंतरिक्ष यात्री के लिए जीवनरक्षक पैकेट होंगे जो दो दिनों के लिए पर्याप्त होंगे। हालांकि इसरो इस बात के प्रति आश्वस्त है कि क्रू माड्यूल को समुद्र में गिरने के दो घंटे के अंतर ही तलाश लिया जाएगा।गगनयान के लिए चयनित चार अंतरिक्ष यात्रियों को रूस में 15 महीनों का सामान्य अंतरिक्ष उड़ान प्रशिक्षण दिया गया है। उन्हें गगनयान के लिए विशेष प्रशिक्षण देने के लिए बेंगलुरु में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जा रहा है। इस दौरान उन्हें उन सभी परिस्थितियों से अवगत कराया जाएगा जो उड़ान के दौरान सामने आ सकती हैं, साथ ही उन्हें उनका सामना करने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। प्रशिक्षण में अभियान के इंजीनियरिंग, मेडिकल और सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर कक्षाएं भी शामिल हैं।
अंतरिक्ष यात्रियों को पैराबोलिक पाथ के जरिये विशेष एयरक्राफ्ट में उड़ान के जरिये भारहीनता की स्थिति का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इसमें उन्हें 25 से 30 सेकेंड तक भारहीनता का अनुभव होगा। उन्हें विशेष सिम्युलेटर्स पर भी लंबी अवधि का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। अभियान समयपूर्व स्थगित होने की स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों को बचाव की जानकारी देने के लिए उन्हें समुद्र, बर्फीले स्थानों, पहाड़ों और रेगिस्तानी स्थितियों में जीवनरक्षा का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्हें इन स्थितियों में उनके पास उपलब्ध जीवनरक्षक पैकेटों का इस्तेमाल करके जीवित रहना सिखाया जाएगा।