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ISRO ने बनाया अद्भुत वेंटिलेटर... बिजली, बैटरी और गैस से भी चलेगा, खतरे में बज उठेगा अलार्म
Deepa Sahu
7 Jun 2021 12:37 PM GMT
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कोरोना मरीजों के इलाज में बड़ा कदम उठाया है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कोरोना मरीजों के इलाज में बड़ा कदम उठाया है. इसरो ने तीन अलग-अलग तरह के वेटिंलेटर्स बनाए हैं. इसरो अब वेंटिलेटर की इस टेक्नोलॉजी को उद्योगों को देना चाहती है ताकि इसका क्लीनिक में इस्तेमाल हो सके. अगर ऐसा होता है तो कोरोना मरीजों को बड़ी राहत दी जा सकती है. हाल के दिनों में कोविड के चलते देश में हजारों लोगों की मौत हुई है. कई बार वेंटिलेटर की कमी से भी मौतें देखी गई हैं.
कम कीमत और पोर्टेबल क्रिटिकल केयर वेंटिलेटर का नाम प्राण दिया गया है. यह वेंटिलेटर एमबीयू (आर्टिफिशियल मैनुअल ब्रीदिंग यूनिट) बैग से लैस है. इसमें एक हाईटेक कंट्रोल सिस्टम लगा हुआ है. साथ ही एयरवे प्रेसर सेंसर, फ्लो सेंसर, ऑक्सीजन सेंसर, सर्वो एक्चुएटर, पीईईपी (पॉजिटिव एंड एक्सपाइरेटर प्रेशर) कंट्रोल वाल्व लगे हुए हैं. इस वेंटिलेटर में एक टच स्क्रीन पैनल लगा हुआ है जिससे वेंटिलेशन मोड को सेलेक्ट किया जा सकता है. डिसप्ले पर प्रेशर, फ्लो, टाइडल वॉल्यूम और ऑक्सीजन कॉन्सेनट्रेशन की पूरी जानकारी मिलती रहती है. यह डिसप्ले टच स्क्रीन के साथ ही लगा हुआ है.
बैकअप के लिए बैटरी
इस वेंटिलेटर की मदद से मरीज के फेफड़े में ऑक्सीजन और हवा के मिक्सचर को भेजा जा सकता है. जितनी जरूरत हो मरीज को उतनी ही हवा दी जाएगी. डॉक्टर इसकी रेट पहले ही फिक्स कर देंगे, जिस रेट पर मरीज को हवा दी जानी है. अगर बिजली कट जाती है तब भी यह वेंटिलेटर काम करेगा क्योंकि इसमें बैकअप के लिए बैटरी दी गई है. प्राण वेंटिलेटर को इनवैसिव और नॉन-इनवैसिव दोनों मोड में चलाया जा सकता है. मरीज को कितनी हवा की जरूरत है, यह वेंटिलेटर के जरिये सेट किया जा सकता है. इसमें यह भी सुविधा है कि मरीज जिस हिसाब से सांस लेता है, उसी हिसाब से वेंटिलेटर की सेटिग भी हो सकती है.
खतरे में बजेगा अलार्म
मरीजों की सुरक्षा के लिए प्राण वेंटिलेटर में अलार्म लगा हुआ है. किसी भी खतरे की स्थिति में यह डॉक्टर को आगाह करता है. वेंटिलेशन के दौरान बैरोट्रॉमा, एसफिक्सिया, और ऐपनिया जैसा खतरा होने पर अलार्म संकेत दे देता है. अगर वेंटिलेटर का गलत कनेक्शन लगा हो, तो अलार्म उसका अलर्ट देता है. वेंटिलेटर सर्किट या होज और सेंसर गलत तरीके से लगे हों तो अलार्म इसकी भी जानकारी दे देता है. वेंटिलेशन लगाने और इस्तेमाल के दौरान मरीज को वैक्टीरिया का इनफेक्शन न हो, या हवा में किसी तरह का प्रदूषण न हो, इससे बचने के लिए बैक्टीरियल वायरल फिल्टर्स दिए गए हैं.
डिसप्ले पर मिलेगी पूरी जानकारी
इसरो ने इसी तरह एक और वेंटिलेटर वायु का निर्माण किया है. किसी मरीज को सांस लेने में दिकक्त हो रही हो तो यह वेंटिलेटर मदद करता है. सांस की गति को सामान्य करता है. वायु वेंटिलेटर सेंट्रीफ्यूगल ब्लोअर तकनीक पर आधारित है. यह आसपास की हवा को खींचता है, उसे कंप्रेस करता है और मरीज के फेफड़ों तक भेजता है. हवा लेने के लिए मरीज को अतिरिक्त जोर नहीं लगाना पड़ता.
इस वेंटिलेटर से हाई प्रेशर ऑक्सीजन सोर्स को जोड़ा जा सकता है. मरीज को कितनी ऑक्सीजन चाहिए, यह आपने आप कंट्रोल हो जाएगा. वायु में ह्यूमन मशीन इंटरफेस (HMI) लगा हुआ है लगा हुआ है जो मेडिकल ग्रेड टच स्क्रीन से जुड़ा है. इससे ऑपरेटर रियल टाइम में वेंटिलेटर को सेट करने और वेंटिलेशन पैरामीटर्स पर ध्यान रख सकता है.
गैस से चलेगा वेंटिलेटर
इस वेंटिलेटर में पावर सप्लाई यूनिट लगी है जिसे 230 वोल्ट करंट से चला सकते हैं या बिजली कटने पर बैटरी पैक के जरिये भी ऑपरेट किया जा सकता है. इस वेंटिलेटर को भी इनवेसिव और नॉन-इनवेसिव मोड में चलाया जा सकता है. अगर वेंटिलेटर में कोई दिक्कत आती है तो चेतावनी देने के लिए अलार्म लगा है, वेंटिलेटर में लगा एचएमआई सिस्टम किसी भी गड़बड़ी की सूरत में संकते देता है. इसी तरह तीसरा वेंटिलेटर स्वस्ता है जो गैस से चलती है. इसे इमरजेंसी यूज में ले सकते हैं. एंबुलेंस में भी इसे फिट किया जा सकता है और मरीजों को फर्स्ट लाइन ट्रीटमेंट दी जा सकती है. इन सभी वेंटिलेटर का डिजाइन साधारण है. इसमें लगने वाले औजार बड़े स्तर पर तेजी से बनाए जा सकेंगे. इन सभी वेंटिलेटर में मैनुअल सेटिंग भी है. यानी कि हाथ से भी सेटिंग कर सकते हैं.
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