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नई दिल्ली | चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 को उतरे 12 दिन हो गए हैं। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अब शाम हो गई है और एक दिन बाद ही रात हो जाएगी। इसरो ने रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम को स्लीप मोड में डाल दिया है। यानी अब रात के अंधेरे में रोवर प्रज्ञान पूरी नींद लेने की तैयारी में है। हालांकि देखना यह है कि रात बीतने और दोबारा सूर्योदय होने के बाद लैंडर और रोवर फिर से किस तरह काम करना शुरू करेंगे क्योंकि चंद्रमा की रात पृथ्वी की तरह आसान नहीं है। यह रात भी पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर लंबी होती है। इस दौरान चांद के दक्षिणी ध्रुव का तापमान माइनस 238 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। आपको बता दें कि लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान दोनों ही सूर्य की रौशनी से अपनी बैट्री चार्ज करते हैं। ऐसे में अंधेरे में दोनों ही काम नहीं कर सकेंगे। हालांकि अंधेरा होने से पहले दोनों ने अब तक का टास्क पूरा कर लिया है। रोवर और लैंडर को इस हिसाब से ही डिजाइन किया गया था कि वह सूर्य की रौशनी में ही काम कर पाएंगे। 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर दिन की शुरुआत हुई थी और तभी इसरो ने चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग करवाई थी।
ISRO ने बताया कि रोवर के APXS और LIBS पेलोड्स को बंद कर दिया गया है। इसके अलावा प्रज्ञान को सुरक्षित जगह पर पार्क करवाकर स्लीप मोड में डाल दिया गया है। इसके अलावा सारा डेटा पृथ्वी तक पहुंचा दिया गया है। क्योंकि रात के अंधेरे में अगर कोई अनहोनी होती है तो इससे अब तक का अध्ययन बेकार नहीं होना चाहिए।
चंद्रमा पर बेहद कठिन होती है रात
चंद्रमा पर रात का अंधेरा बेहद खौफनाक और कठिन होता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है 14 दिनों के बराबर की रात। एक बार अंधेरा हो गया तो सूर्योदय के लिए पृथ्वी के 14 दिनो का इंतजार करना होगा। दूसरा यहां ठंड बहुत बढ़ जाती है। तापमान माइनस 238 डिग्री तक चला जाता है। कई ऐसी भी घटनाएं हो सकती हैं जिसके बारे में हमें पता ना हो। इसके अलावा चंद्रमा पर भूकंप भी आते रहते हैं। वायुमंडल ना होने की वजह से अकसर उल्कापिंड गिर जाते हैं। कह सकते हैं कि ऐसे कठिन और डरावने माहौल में अगर रोवर प्रज्ञान और लैंडर सुरक्षित रहते हैं और सूर्योदय के बाद फिर से अपना काम शुरू करते हैं तो यह बहुत बड़ी बात होगी। दक्षिणी ध्रुव पर अब तक कोई देश लैंड कर ही नहीं पाया है। भारत ने अब तक जो किया है वह भी दुनिया के लिए मिसाल है।
सूर्योदय के बाद जागने की कितनी उम्मीद
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या लूनर नाइट खत्म होने के बाद चंद्रयान-3 फिर से ऐक्टिव हो जाएगा। ठंड में लैंडर के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खराब नहीं होंगे। रोवर ने बताया है कि उसकी बैट्री पूरी तरह से चार्ज है। ऐसे में सूर्योदय के बाद जब रौशनी मिलेगी तो 22 सितंबर को यह फिर से काम करना शुरू कर सकता है। हालांकि किसी वजह से अगर ये दोनों क्षतिग्रस्त हो जाते हैं तो इसरो के पास इन्हें दोबारा शुरू करने का कोई प्लान नहीं है।
TagsISRO ने बताया कि रोवर के APXS और LIBS पेलोड्स को बंद कर दिया गया हैISRO informed that the rover's APXS and LIBS payloads have been shut down.जनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिसिलाआज का ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारJANTA SE RISHTA NEWSJANTA SE RISHTATODAY'S LATEST NEWSHINDI NEWSINDIA NEWSKHABARON KA SISILATODAY'S BREAKING NEWSTODAY'S BIG NEWSMID DAY NEWSPAPER
Harrison
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