x
बड़ी खबर
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रमा की सतह पर तापमान भिन्नता का एक ग्राफ रविवार को जारी किया और अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने चंद्रमा पर दर्ज किए गए उच्च तापमान को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया। चांद के दक्षिणी छोर पर पहुंचे चंद्रयान-3 का यह पहला महत्वपूर्ण डेटा है। राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, 'चंद्र सर्फेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट' (चेस्ट) ने चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी का 'तापमान प्रालेख' मापा। ISRO ने 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, ''यहां विक्रम लैंडर पर चेस्ट पेलोड के पहले अवलोकन हैं। चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, चेस्ट ने ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रालेख को मापा।''
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 27, 2023
Here are the first observations from the ChaSTE payload onboard Vikram Lander.
ChaSTE (Chandra's Surface Thermophysical Experiment) measures the temperature profile of the lunar topsoil around the pole, to understand the thermal behaviour of the moon's… pic.twitter.com/VZ1cjWHTnd
ग्राफिक के बारे में इसरो वैज्ञानिक बी. एच. एम. दारुकेशा ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''हम सभी मानते थे कि सतह पर तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है, लेकिन यह 70 डिग्री सेंटीग्रेड है। यह आश्चर्यजनक रूप से हमारी अपेक्षा से अधिक है।'' अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि पेलोड में तापमान को मापने का एक यंत्र लगा है जो सतह के नीचे 10 सेंटीमीटर की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है। इसरो ने एक बयान में कहा, ''इसमें 10 तापमान सेंसर लगे हैं। प्रस्तुत ग्राफ विभिन्न गहराइयों पर चंद्र सतह/करीबी-सतह की तापमान भिन्नता को दर्शाता है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के लिए ये पहले ऐसे प्रालेख हैं। विस्तृत अवलोकन जारी है।''
वैज्ञानिक दारुकेशा ने कहा, ''जब हम पृथ्वी के अंदर दो से तीन सेंटीमीटर जाते हैं, तो हमें मुश्किल से दो से तीन डिग्री सेंटीग्रेड भिन्नता दिखाई देती है, जबकि वहां (चंद्रमा) यह लगभग 50 डिग्री सेंटीग्रेड भिन्नता है। यह दिलचस्प बात है।'' वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्रमा की सतह से नीचे तापमान शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिर जाता है। उन्होंने कहा कि भिन्नता 70 डिग्री सेल्सियस से शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे तक है। इसरो ने कहा कि 'चेस्ट' पेलोड को भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), अहमदाबाद के सहयोग से इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) की अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला (एसपीएल) के नेतृत्व वाली एक टीम द्वारा विकसित किया गया था। अंतरिक्ष अभियान में बड़ी छलांग लगाते हुए 23 अगस्त को भारत का चंद्र मिशन 'चंद्रयान-3' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा, जिससे देश चांद के इस क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला तथा चंद्र सतह पर सफल 'सॉफ्ट लैंडिंग' करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को घोषणा की थी कि चंद्रमा पर चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल का नाम 'शिवशक्ति' प्वाइंट रखा जाएगा और 23 अगस्त का दिन 'राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस' के रूप में मनाया जाएगा। मोदी ने कहा था कि चंद्रमा की सतह पर जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने 2019 में अपने पदचिह्न छोड़े थे, उसे 'तिरंगा' प्वाइंट के नाम से जाना जाएगा।
TagsISROचंद्रयान-3ISRO ने दिया अपडेटचंद्रयान-3 बड़ा अपडेटचंद्रयानChandrayaan-3ISRO gave updateChandrayaan-3 big updateChandrayaanनई दिल्ली न्यूज हिंदीनई दिल्ली न्यूजनई दिल्ली की खबरनई दिल्ली लेटेस्ट न्यूजनई दिल्ली क्राइमनई दिल्ली न्यूज अपडेटनई दिल्ली हिंदी न्यूज टुडेनई दिल्ली हिंदीन्यूज हिंदी नई दिल्लीन्यूज नई दिल्लीनई दिल्ली हिंदी खबरनई दिल्ली समाचार लाइवnew delhi news hindinew delhi newsnew delhi ki khabarnew delhi latest newsnew delhi crimenew delhi news updatenew delhi hindi news todaynew delhi hindinews hindi new delhinews new delhinew delhi hindi newsnew delhi news liveदिन की बड़ी ख़बरअपराध खबरजनता से रिश्ता खबरदेशभर की बड़ी खबरताज़ा समाचारआज की बड़ी खबरआज की महत्वपूर्ण खबरहिंदी खबरजनता से रिश्ताबड़ी खबरदेश-दुनिया की खबरराज्यवार खबरहिंदी समाचारआज का समाचारबड़ा समाचारनया समाचारदैनिक समाचारब्रेकिंग न्यूजBig news of the daycrime newspublic relation newscountrywide big newslatest newstoday's big newstoday's important newsHindi newsrelationship with publicbig newscountry-world newsstate wise newshindi newstoday's newsnew newsdaily newsbreaking news
Shantanu Roy
Next Story