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खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में खतरनाक है ISIS, इमरान सरकार की बढ़ेगी मुश्किलें

Deepa Sahu
23 Jan 2022 7:33 AM GMT
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में खतरनाक है ISIS, इमरान सरकार की बढ़ेगी मुश्किलें
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इस्लामिक स्टेट (Islamic State) खुरासान (खोरासान) अफगानिस्तान में सक्रिय है.

इस्लामिक स्टेट (Islamic State) खुरासान (खोरासान) अफगानिस्तान में सक्रिय है. आईएस-के. (ISIS-K) प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने पाकिस्तान (Pakistan) के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा की शांति और अखंडता के लिए कहीं अधिक बड़ा खतरा पैदा कर दिया है. यह बात प्रांतीय पुलिस प्रमुख ने शनिवार को कही है. पिछले साल अगस्त में काबुल में तालिबान के सत्ता में आने के बाद आईएस-के ने अफगानिस्तान के कई शहरों में हमले तेज कर दिए हैं. आईएस-के ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों पर आतंकवादी हमले भी किए हैं. खैबर पख्तूनख्वा के पुलिस प्रमुख मोअज्जम जाह अंसारी ने कहा कि आईएस-के.

टीटीपी की तुलना में प्रांत की शांति और सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है. साल 2021 के अक्टूबर में आईएस-के ने प्रांतीय राजधानी में सरदार सतनाम सिंह (खालसा) नामक एक प्रसिद्ध सिख हकीम की हत्या की भी जिम्मेदारी ली थी. वह यहां के लोगों का इलाज भी यूनानी चिकित्सा पद्धति से करते थे. अक्टूबर और नवंबर के महीनों में सूबे के विभिन्न हिस्सों में कम से कम तीन पुलिसकर्मी मारे गए थे. मोअज्जम जाह अंसारी ने कहा कि टीटीपी जिसे पाकिस्तानी तालिबान के नाम से भी जाना जाता है. यह एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है, जो अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर सक्रिय है.
पाकिस्तान में कई हमलों को अंजाम दिया
इसने एक दशक से भी ज्यादा समय में पाकिस्तान में कई हमले किए हैं. जिसमें हजारों लोग मारे गए हैं. यह कथित रूप से पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवादी हमलों की साजिश रचने के लिए अफगानिस्तान के क्षेत्र का उपयोग करता है. टीटीपी के आतंकी पाकिस्तानी सेना पर हमला कर इमरान सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. इससे पहले भी इन आतंकियों ने इमरान खान के गृह राज्य खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान समेत कई प्रांतों में आतंक मचा रखा था. पिछले एक महीने से शांति समझौते के कारण टीटीपी के हमले बंद थे. आपको बता दें कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और पाकिस्तान सरकार ने नवंबर में ही सीजफायर का एलान किया था.
पाकिस्तान सरकार ने मनाने की कोशिश की
पाकिस्तान सरकार ने टीटीपी के आतंकियों को हथियार डालने के लिए मनाने की कोशिश की थी. लेकिन बातचीत पूरी न होने के बाद आतंकी संगठन ने फिर हमले शुरू कर दिए. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का अफगानिस्तान के तालिबान से बहुत करीबी नाता है. दोनों ही संगठनों के आतंकी पाकिस्तान के दारूल उलूम हक्कानिया मदरसे से निकले हैं. साल 2007 में गठित हुए टीटीपी ने ही 2014 में पाकिस्तान के पेशावर में एक स्कूल पर हमला कर दिया था. जिसमें 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी.
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