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आपकी खरीदी हुई दवा असली है या नकली? अब क्यूआर कोड से हो सकेगी पहचान, जानिए कैसे करता है काम

jantaserishta.com
20 Jan 2022 12:38 PM GMT
आपकी खरीदी हुई दवा असली है या नकली? अब क्यूआर कोड से हो सकेगी पहचान, जानिए कैसे करता है काम
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नई दिल्ली: सरकार ने नकली दवाओं पर लगाम लगाने के लिए बड़ा उठाया है. सरकार ने दवाओं के बनाने में इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स (API) पर क्यूआर कोड (QR Code) लगाना अनिवार्य कर दिया है. इससे असली और नकली दवा की पहचान महज चंद सेकेंडों में की जा सकेगी. ग्राहक अब किसी भी दवा पर मौजूद क्यूआर कोड को मोबाइल से स्कैन कर इसकी हकीकत के बारे में आसानी से जान सकेंगे. नया नियम अगले साल 1 जनवरी, 2023 से लागू होगा.

इस नए नियम को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. API में QR कोड लगाने के सरकार के फैसले के बाद अब असली और नकली दवाओं की पहचान में आसानी होगी. QR कोड में दवा की पूरी जानकारी होगी. बैंच नंबर, सॉल्ट, कीमत की जानकारी मिलेगी. मोबाइल से QR कोड स्कैन करने पर दवा की पूरी जानकारी मिलेगी.
एपीआई में क्यूआर कोड लगाने से ये भी आसानी मालूम चल जाएगा कि कच्चा माल कहां से सप्लाई हुआ है, क्या दवा बनाने के फॉर्मूला से कोई छेड़छाड़ हुई है और दवाई की डिलीवरी कहां हो रही है. आपको बता दें कि एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स यानी API इंटरमीडिएट्स, टेबलेट्स, कैप्सूल्स और सिरप बनाने के मुख्य कच्चे माल होते हैं.
ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (DTAB) ने जून 2019 में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. क्यूआर का मतलब क्विक रिस्पॉन्स होता है. इस कोड को तेजी से रीड करने के लिए बनाया गया है. यह बारकोड का अपग्रेड वर्जन है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत नकली दवाओं का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है. भारत में 25 फीसदी के करीब दवाइयां नकली है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में 3 फीसदी दवाओं की क्वालिटी घटिया होती है. API के लिए अब भारतीय कंपनियां बहुत हद तक चीन पर निर्भर हैं. क्यूआर कोड की नकल करना नामुमकिन है, क्योंकि यह हरेक बैच नंबर के साथ बदलेगा. इससे देश को नकली दवाओं से पूरी तरह से मुक्ति मिलेगी.
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