हर व्यक्ति का अपना मानवीय गुणधर्म होता है। यह गुणधर्म इस बात से निर्धारित होता है कि उसकी परवरिश किस तरह के परिवेश में हुई है। उसका पारिवारिक माहौल कैसा रहा है। उसके इर्द-गिर्द किस तरह के लोग रहे हैं। उसका सामाजिक परिवेश कैसा रहा है। उसका उठना-बैठना किस तरह के स्वभाव वाले लोगों के बीच रहा है। इस तरह के कई अन्य कारक किसी व्यक्ति के मानवीय गुणधर्म को निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इन्हीं में से एक मानवीय गुणधर्म को मनोविज्ञान की भाषा ‘अति संवेदनशीलता’ कहा जाता है। आपने कई लोगों को यह कह कहते हुए सुना होगा कि फलां व्यक्ति बहुत संवेदनशील, तो फलां व्यक्ति ऐसा है या वैसा है।
सर गंगा राम अस्पताल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. राजीव मेहता से अति संवेदनशीलता के संबंध में आईएएनएस ने विस्तृत बातचीत की। डॉ. मेहता बताते हैं, “एक अति संवेदनशील व्यक्ति वह होता है, जिसमें किसी भी घटना को विभिन्न पहलुओं या कहें कि उसे गहराई से समझने की असीम क्षमता होती है, लेकिन अगर यह क्षमता बढ़ जाए, तो निस्संदेह यह उसके दैनिक जीवन को नकारात्मक तरीके से प्रभावित कर सकती है।”
यह पूछे जाने पर कि क्या अति संवेदनशीलता को बीमारी कहा जा सकता है, उन्होंने स्पष्ट कहा है, “यह एक तरह का स्वभाव है। लेकिन, यहां आपको एक बात ध्यान रखना होगा कि अगर आपका यह व्यवहार या स्वभाव आपके सामाजिक या व्यावसायिक जीवन को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने लग जाए या आपकी अति संवेदनशीलता इतनी ज्यादा है कि वह आपके रोजमर्रा के जीवन पर असर डाल रही है, आपको रिलेशन बनाने में दिक्कत हो रही हो, अपने पेशेवर कामों में दिक्कत हो रही है, तो निश्चित तौर पर वह एक बीमारी है।”
आखिर ऐसी क्या वजहें होती हैं, जिससे किसी व्यक्ति का व्यवहार अति संवेदनशील हो जाता है? इस सवाल के जवाब में डॉ. मेहता बताते हैं, “इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे अगर कोई तनाव में हो, किसी बात को लेकर चिंतित हो, किसी विषय पर बारंबार सोच रहा हो, तो ऐसी स्थितियों में किसी भी व्यक्ति का व्यवहार अति संवेदनशील हो जाता है। लेकिन इसके अलावा भी कई अन्य कारक हो सकते हैं, जो किसी व्यक्ति को संवेदनशील बना सकते हैं। जैसे अगर वह एक ऐसे पारिवारिक माहौल में रहा हो, जहां संवाद का अभाव हो या संवाद भी हो रहा है, तो सिर्फ एक-दूसरे पर तंज कसा जा रहा हो, एक-दूसरे को नीचा दिखाया जाता हो, कई बार अधिक जिम्मेदारियों की वजह से भी व्यक्ति का व्यवहार संवेदनशील हो जाता है।”
वे बताते हैं, “आमतौर पर उच्च शिक्षित होना भी कई बार किसी व्यक्ति के व्यवहार को संवेदनशील बना सकता है, क्योंकि इस तरह के व्यक्ति में किसी भी विषय को लेकर विभिन्न पहलुओं से देखने की क्षमता होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उच्च शिक्षा बेकार है। लेकिन हां, इस बात को भी खारिज नहीं किया जा सकता है कि उच्च शिक्षित व्यक्ति संवेदनशील हो सकता है।”
वे आगे बताते हैं, “जब कोई व्यक्ति उच्च पद पर होता है, जहां उसके ऊपर बेहतर परिणाम देने की मनोवैज्ञानिक जिम्मेदारी हो, तो ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति संवेदनशील हो सकता है। इसके अलावा, ऐसे बच्चे, जिन्हें बचपन में अपने माता-पिता से बहुत प्यार मिला होता है। ऐसे बच्चे भी जब बड़े होते हैं, तो देखा जाता है कि उनका व्यवहार संवेदनशील हो जाता है।”
वे आगे बताते हैं कि अति संवेदनशील व्यक्ति को अपने जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस व्यवहार की वजह से उन्हें अपने पारिवारिक और पेशेवर जीवन में दिक्कतों सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, ऐसे लोग कई बार ओवर थिंकर भी हो जाते हैं। इस वजह से भी उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता है।