इप्टा निकालेगी "ढाई आखर प्रेम"की देशव्यापी सांस्कृतिक पद यात्रा
यूपी. पिछले साल इप्टा ने आज़ादी के 75वें वर्ष को समर्पित "ढाई आखर प्रेम" की सांस्कृतिक यात्रा की शुरुआत प्रख्यात मनीषी राहुल सांकृत्यायन के जन्मदिन एवं प्रगतिशील लेखक संघ के स्थापना दिवस 9 अप्रैल को रायपुर छत्तीसगढ़ से की थी। इस यात्रा में इप्टा ने अपने नाटकों,गीतों,नृत्य एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिये छत्तीसगढ़,झारखंड,बिहार,उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के 300 से अधिक गांवों,कस्बों,शहरों में लाखों आम मजदूर,किसानों,महिलाओं,दलित,आदिवासियों और आम नागरिकों से आत्मीय संबंध स्थापित करते हुए प्रेम,समन्वय,सौहार्द और एकजुटता का संदेश दिया।यात्रा का समापन 22 मई 2022 को इंदौर में हुआ। इस साल 17 मार्च से 19 मार्च 2023 तक डाल्टनगंज(झारखंड) में हुए इप्टा के राष्ट्रीय अधिवेशन ने फैसला लिया कि 2023 में भगत सिंह के जन्मदिन 28 सिंतबर से पूरे देश के 20 से 22 राज्यों में "ढाई आखर प्रेम" की पदयात्रा की जाएगी जिसका समापन महात्मा गांधी के शहादत दिवस 30 जनवरी 2024 को दिल्ली में होगा। यात्रा में प्रगतिशील लेखक संघ,जनवादी लेखक संघ,जन संस्कृति मंच,दलित लेखक संघ,जन नाट्य मंच एवं विभिन्न प्रदेशों,जनपदों के अनेक श्रमिक,महिला,किसान,दलित,आदिवासी,पर्यावरण एवं विभिन्न मुद्दों पर काम करने वाले अनेक सामाजिक,सांस्कृतिक संगठन शामिल होंगे। *"ढाई आखर प्रेम" की सांस्कृतिक यात्रा असल में स्वतंत्रता संग्राम के गर्भ से निकले स्वतंत्रता - समता - न्याय और बंधुत्व के उन मूल्यों के तलाश की कोशिश है, जो आजकल नफरत, वर्चस्व और दंभ के तुमुलघोष में डूब सा गया है। गो कि वो हमारे घोषित संवैधानिक आदशों में झिलमिलाते हुये हर्फों के रूप में, गांधी के प्रार्थनाओं में और हमारी आशाओं में अभी भी चमक रहा है। जिसका दामन पकड़कर हमारे किसान गांधी के अंहिसा और भगत सिंह के अदम्य साहस के रास्ते अपनी कुबार्नी देते हुए डटे हैं।
यह यात्रा उन तमाम शहीदों, समाज सुधारकों एवं भक्ति आंदोलन और सुफीवाद के पुरोधाओं का सादर स्मरण है, जिन्होंने भाषा, जाति, लिंग और धार्मिक पहचान से इत्तर मनुष्य के मुक्ति एवं लोगों से प्रेम को अपना एकमात्र आदर्श घोषित किया।
प्रेम जो उम्मीद जगाता है, प्रेम जो बंधुत्व, समता और न्याय की पैरोकारी करता है, प्रेम जो कबीर बनकर पाखंड पर प्रहार करता है, प्रेम जो भाषा, धर्म जाति नहीं देखता और इन पहचानो से विमुख होकर धर्मनिरपेक्षता का आदर्श बन जाता है।
आइए... "ढाई आखर प्रेम का" इस यात्रा के बहाने बापू के पास चलें, भगत, अशफाक, बिस्मिल और अनेकानेक शहीदों के पास चलें। उस हिंदुस्तान में चलें जो अंबेडकर के ख्वाब में पल रहा था, जो विवेकानंद और रवींद्रनाथ टैगोर के उद्दात मानवतावादी आदर्शों में व्यक्त हो रहा था। मानवतावाद जो अंधराष्ट्रवादी - मानवद्रोही विचार को चुनौती देते हुए टैगोर के शब्दों में "उन्नत भाल और भय से मुक्त विचार" में मुखरित हो रहा था। जहां ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले और पंडिता रमाबाई जैसे लोग ज्ञान के सार्वभौम अधिकार के लिए लड़ रहे थे। जो आज तक भी हासिल नहीं किया गया है।
यह यात्रा नफरत के बरक्स प्रेम, दया करुणा, बंधुत्व, समता से परिपूर्ण न्यायपूर्ण हिंदुस्तान को समर्पित है। जिसे हम और आप मिलकर बनाएंगे। जो बनेगा जरूर।
वो सुबह कभी तो आयेगी...!
वो सुबह हमही से आयेगी....!! यात्रा के पड़ाव निम्नवत हैं:-
1. राजस्थान> 28-सितम्बरसे 01अक्टूबर 2023
2. केरल> 2अक्टूबर से 8अक्टूबर
3. बिहार> 9अक्टूबर से14अक्टूबर
4. पंजाब > 27अक्टूबर से 30अक्टूबर
5. उत्तराखंड> 31अक्टूबर से 3नवंबर
6. उड़ीसा > 4नवंबर से 7नवंबर
7. जम्मू कश्मीर > 8नवंबर से 12नवंबर
8. उत्तर प्रदेश > 18नवंबर से 23नवंबर
9. उत्तर पूर्वी राज्य > 24 नवंबर से 30नवंबर
10. कर्नाटक > 1दिसंबर से 7दिसम्बर
11. झारखंड> 8दिसम्बर से 12दिसम्बर
12. तमिलनाडु > 13दिसम्बर से 17दिसम्बर
13. आंध्र प्रदेश > 18दिसम्बर से 22दिसम्बर
14.मध्यप्रदेश > 23दिसंबर से 27दिसम्बर
15. पश्चिम बंगाल> 28दिसंबर से 1जनवरी 2024
16. तेलंगाना > 2जनवरी से 6जनवरी
17. छत्तीसगढ़ > 7जनवरी से 12जनवरी
18. गुजरात > 13जनवरी से 16जनवरी
19. पुडुचेरी> 17जनवरी स3 18जनवरी
20.महाराष्ट्र> 19जनवरी से 24जनवरी
21.मुम्बई> 25जनवरी से 26जनवरी
22. हरियाणा/दिल्ली > 27जनवरी से 30जनवरी 2024