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पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर बसपा के जाति कार्ड खेलने से मुकाबला हुआ रोचक

jantaserishta.com
3 April 2024 10:01 AM GMT
पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर बसपा के जाति कार्ड खेलने से मुकाबला हुआ रोचक
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फाइल फोटो

लखनऊ: लोकसभा के पहले चरण की कई सीटों पर बसपा के जाति कार्ड खेलने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। पश्चिमी यूपी में मायावती का एक खास वोट बैंक भी है। इसके अलावा, सपा कांग्रेस से नाराज लोगों के भी बसपा की तरफ जाने की संभावना है।
राजनीतिक जानकर बताते हैं कि भाजपा ने पहले चरण की आठ में से एक बिजनौर सीट रालोद को दी है। इस पर रालोद ने चंदन चौहान को उतारा है। भाजपा ने सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर अपने प्रत्याशियों पर दोबारा भरोसा जताया है। सपा और कांग्रेस के इंडिया गठबंधन ने भी चुनावी मोहरे सोच समझकर चले हैं। लेकिन बसपा ने बहुत सही गणित लगाकर मुकाबलों को दिलचस्प बना दिया है।
पश्चिम की कई ऐसी सीटें है जहां पर बसपा की स्थिति मजबूत है। कैराना सीट से भाजपा ने अपने सांसद प्रदीप चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। समाजवादी पार्टी ने कैराना से लगातार तीसरी बार मौजूदा विधायक चौधरी नाहिद हसन की छोटी बहन इकरा हसन को लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी की घोषणा की है। उनके परिवार का राजनीतिक रसूख ठीक ठाक है। बसपा की तरफ से श्रीपाल राणा मैदान में हैं। मुख्य मुकाबला इस बार प्रदीप, इकरा और श्रीपाल राणा के बीच ही है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अमोदकांत मिश्रा का कहना है कि पश्चिमी यूपी मायावती का गढ़ आज से नहीं जमाने से है। अगर चुनावी ट्रैक को देखें तो बिजनौर और आस पास की सीटों पर उनका वर्चस्व रहा है। उन्होंने बताया कि बिजनौर में मायावती का उम्मीदवार सबसे ज्यादा ताकतवर लग रहा है। बिजनौर सीट पिछली बार भाजपा हार गई थी। लेकिन इस बार यह सीट गठबंधन कोटे में रालोद के हिस्से में चली गई। 2019 में यहां से बसपा जीती थी। बसपा की तरफ से चौधरी विजेंद्र सिंह इस बार उतरे हैं। सपा ने दीपक सैनी को उतारा है। ऐसे में सभी दलों से नए प्रत्याशियों के बीच इस बार मुकाबला होगा। चौधरी यहां के जाट नेता हैं। वह पहले रालोद में भी रह चुके हैं। बसपा के जाट कार्ड से इंडिया गठबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस सीट पर जाटों की संख्या ठीक ठाक है। मायावती ने यहां से जाट, मुस्लिम और दलित कार्ड खेला है।
उन्होंने बताया कि मुजफ्फरनगर सीट पर भाजपा ने फिर से संजीव बालियान को मौका दिया है। इस बार सपा ने हरेंद्र मलिक को उतारा है। बसपा की तरफ से दारा सिंह प्रजापति को उतारा गया है। यहां बालियान, हरेंद्र मलिक और दारा सिंह में ही मुकाबला हो सकता है। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बनता दिख रहा है।
वहीं नगीना सीट इस बार भाजपा ने ओम कुमार को टिकट दिया है। बसपा ने इस बार सुरेंद्र मैनवाल को उतारा है। सपा ने पूर्व एडीजे मनोज कुमार पर दांव लगाया है। यहां मुकाबले को दिलचस्प बना रहे हैं भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद। चंद्रशेखर ने आजाद समाज पार्टी से नामांकन दाखिल किया है। एसटी बाहुल्य यह सीट सुरक्षित भी है।
पश्चिमी यूपी को बारीकी से कवर करने वाले प्रशांत श्रीवास्तव का कहना है कि कैराना में मुस्लिम वोट बैंक मायने रखता है। भाजपा ने गुर्जर समाज के प्रदीप चौधरी को उतारा है। सपा ने यहां से इकरा हसन को टिकट दिया है। बसपा ने यहां ठाकुर समुदाय से आने वाले श्रीपाल सिंह राणा को टिकट दिया है। उन्हें दलित वोट के साथ ठाकुर समाज का वोट मिलने की उम्मीद है। अगर वो ऐसा करने में सफल रहते हैं तो बाजी किधर भी पलट सकती है।
वहीं, सपा की इकरा हसन को एकतरफा मुस्लिम वोट बैंक मिलने की उम्मीदें ज्यादा हैं। लेकिन भाजपा ने यह सीट पाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। अगर बात करें मुजफ्फरनगर की तो यहां पर बसपा ने पिछड़ा कार्ड खेल कर दलित और पिछड़ा वोट समेटने की कोशिश की है। दारा सिंह प्रजापति की कोशिश ओबीसी-दलित समीकरण को साधने की रहेगी। जबकि भाजपा और सपा ने यहां से जाट उम्मीदवार उतारे हैं।
प्रशांत कहते हैं कि बिजनौर लोकसभा सीट पर मुस्लिम मतदाता बड़ी भूमिका अदा करता है। ऐसे में यहां भाजपा ने ये सीट रालोद को दी है, बसपा ने बिजेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है, जो जाट समुदाय से आते हैं। ऐसे में विजेंद्र सिंह जाट वोट बैंक में सेंधमारी करेंगे।
बताया जा रहा है यहां पर बसपा और रालोद की सीधी लड़ाई है। उन्होंने कहा कि नगीना लोकसभा पर भाजपा ने नहटौर के विधायक ओम कुमार को मौका दिया है। सपा ने मनोज कुमार को मैदान में उतारा है। वहीं, बसपा ने सुरेंद्र पाल को टिकट दिया है। इसके अलावा भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर भी यहीं से ताल ठोक रहे हैं। यहां पर मुस्लिम और दलित वोटरों की संख्या ठीक ठाक है। ये दोनो वोट बैंक पर जिसने कब्जा कर लिया, जीत उसी की होगी। उन्होंने कहा कि पश्चिमी यूपी में मायावती को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
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