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जज पर अपमानजनक पोस्ट ने लिया सांप्रदायिक रंग, विरोध प्रदर्शन शुरू

13 Feb 2024 5:51 AM GMT
जज पर अपमानजनक पोस्ट ने लिया सांप्रदायिक रंग, विरोध प्रदर्शन शुरू
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रामनगर: ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर फैसला सुनाने वाले जज पर सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के कार्यकर्ता चांद पाशा के एक अपमानजनक पोस्ट ने मंगलवार को कर्नाटक में सांप्रदायिकता का रंग ले लिया। इस घटना के बाद पुलिस ने 40 अधिवक्ताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। जिसके बाद रामनगर जिले में व्यापक स्तर पर विरोध …

रामनगर: ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर फैसला सुनाने वाले जज पर सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के कार्यकर्ता चांद पाशा के एक अपमानजनक पोस्ट ने मंगलवार को कर्नाटक में सांप्रदायिकता का रंग ले लिया।

इस घटना के बाद पुलिस ने 40 अधिवक्ताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। जिसके बाद रामनगर जिले में व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया।

वहीं, अब अधिवक्ता सब-इंसपेक्टर के निलंबन की मांग कर रहे हैं। पुलिस विभाग को चेतावनी जारी की गई है कि मंगलवार शाम तक सस्पेंशन ऑर्डर जारी नहीं किया गया, तो राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू किया जाएगा।

मंगलवार को रामनगर जिला कोर्ट में अधिवक्ताओं ने कार्यवाही का बहिष्कार किया। इसके साथ ही विरोध प्रदर्शन का भी आह्वान किया।

रामनगर के व्यापारी रफीक खान की शिकायत पर पुलिस ने अधिवक्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। शिकायत में एडवोकेट एसोसिएशन से मांग की गई है कि वो एक ज्ञापन यह कहते हुए जमा कराए कि चांद पाशा पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से झूठे हैं।

रफीक खान ने अपनी शिकायत मेंं कहा, "आरोपियों ने हमें रोका, हमें बंद कर दिया और हमारे साथ मारपीट की। आरोपियों ने दावा किया कि वह जगह मस्जिद नहीं है। उन्होंने हमारे धर्म का नाम लेकर हमारे साथ दुर्व्यवहार किया।"

इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता बीएम श्रीनिवास की शिकायत पर पुलिस ने चांद पाशा सहित 40 के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई।

शिकायत में कहा गया, "अधिवक्ता चांद पाशा के खिलाफ हुई शिकायत के बाद एडवोकेट एसोसिएशन ने गत 6 फरवरी को बैठक की, जिसमें आगे की कार्रवाई के बारे में व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श किया गया। बता दें कि चांद पाशा ने ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर फैसला सुनाने वाले जज को लेकर सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया था।

बता दें कि 30-40 लोगों का समूह अधिवक्ता संंघ के अध्यक्ष के कमरे में घुस गया और उस पर यह दबाव बनाया गया कि वो चांद पाशा के खिलाफ किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई ना करें।

इतना ही नहीं, इस समूह ने यहां तक कह दिया कि अगर कोई कार्रवाई की जाती है, तो बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। भीड़ ने कोर्ट परिसर के बाहर माहौल को अशांत करने का प्रयास किया। यह सबकुछ चांद पाशा के निर्देश पर किया गया।

शिकायत में कहा गया है, "चांद पाशा ने ज्ञानवापी पर फैसला सुनाने वाले जज पर वाट्सएप ग्रुप में अपमानजनक टिप्पणी कर भारतीय न्यायपालिका की गरिमा को कम करने का प्रयास किया है। लिहाजा एक अधिवक्ता और कानून का जानकार होने के नाते इस तरह का पोस्ट चिंता का विषय है। एडवोकेट एसोसिएशन को चांदा पाशा के खिलाफ शिकायत भी मिली है। जिसे ध्यान में रखते हुए अब बैठक बुलाया गया है।"

बता दें कि कर्नाटक बार काउंसिल के अध्यक्ष एचएल विशाल रघु के नेतृत्व में अधिवक्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल पहले ही एसपी कार्तिक रेड्डी से मिल चुका है और इस संबंध में एक ज्ञापन सौंप चुका है।

वहीं, विशाल रघू ने मांंग की है कि अधिवक्ता के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराने वाले इजूर पुलिस स्टेशन के सब-इंसपेक्टर तनवीर हुसैन को जल्द से जल्द संस्पेंड करें।

इस बीच वाराणसी के जिला जज के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट करने के मामले में कर्नाटक पुलिस ने चांद पाशा को गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस के मुताबिक, आरोपी ने अपने पोस्ट में जज को आरएसएस का चाटुकार बताया। उन्होंने सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले फैसला सुनाया और उन्हें अपशब्दों से संबोधित किया।

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