दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पुलिस को निर्देश दिया कि वह एलजीबीटीक्यू समुदाय के एक कपल को दिल्ली सरकार द्वारा तैयार सेफ हाउस में पहुंचाए और उन्हें पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करे। दोनों शादी करना चाहते हैं और उन्हें अपने परिवारों से खतरा है। जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने मयूर विहार फेज-I थाने के प्रभारी (एसएचओ) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि दंपति को एक एनजीओ के ऑफिस से किंग्सवे कैंप में स्थित सेवा कुटीर परिसर में 'सेफ हाउस' में ले जाया जाए। दोनों अभी एक एनजीओ के ऑफिस में रह रहे हैं।
हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारी से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि उन्हें 'सेफ हाउस' में पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई जाए। कोर्ट ने दंपति के परिवारों के सदस्यों को भी नोटिस जारी किया और मामले को दो अगस्त को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। सरकार ने किंग्सवे कैंप में 60 वर्ग गज का सेफ हाउस बनाया है जिसमें दो कमरे, एक शौचालय और एक रसोई है। इसमें तीन ऐसे जोड़ों को रखा जा सकता है जिनके रिश्ते का उनके परिवारों या स्थानीय समुदाय और खाप द्वारा विरोध किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में झूठी शान की खातिर हत्या के खिलाफ गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) शक्ति वाहिनी की याचिका दायर के बाद अंतर-धार्मिक या अंतर-जातीय विवाह करने वाले जोड़ों की सुरक्षा के लिए एक आदेश पारित किया था। कोर्ट ने राज्यों से ऐसे जोड़ों के लिए सेफ हाउस बनाने पर विचार करने को कहा था। याचिकाकर्ता दंपति ने वकील उत्कर्ष सिंह के जरिये हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि वे बालिग हैं, लेकिन उनका रिश्ता उनके परिवारों को स्वीकार्य नहीं है क्योंकि वे एलजीबीटीक्यू समुदाय से हैं।
वकील ने कहा कि दंपति के साथ उनके परिवार के सदस्यों ने मारपीट की थी। उसके बाद वे पंजाब से दिल्ली आ गए और शादी कर ली। वर्तमान में वे एनजीओ धनक ऑफ ह्यूमैनिटी के ऑफिस में रह रहे हैं।