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32 दिन में रेप के आरोपी को फांसी की सजा दिलाने वाले इंस्पेक्टर को मिला पुरस्कार

Admin2
12 Aug 2021 4:39 PM GMT
32 दिन में रेप के आरोपी को फांसी की सजा दिलाने वाले इंस्पेक्टर को मिला पुरस्कार
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राजधानी

भोपाल में नाबालिग बच्ची से रेप और हत्या (Minor girl rape n murder) के मामले की रिकॉर्ड समय में जांच करने वाले निरीक्षक आलोक श्रीवास्तव के काम को केंद्र सरकार ने भी सराहा है. उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सर्वश्रेष्ठ विवेचना अधिकारी पुरस्कार के लिए चुना है. रेप की घटना 2019 में कमला नगर इलाके में हुई थी. इस मामले में कोर्ट ने दोषी को फांसी की सजा सुनायी है. आलोक श्रीवास्तव सहित एमपी के 11 पुलिस अधिकारियों को पुरस्कार मिला है. मध्य प्रदेश के 11 पुलिस अधिकारियों को उत्कृष्ट विवेचना के लिए साल 2021 के "यूनियन होम मिनिस्टर्स मैडल फॉर एक्सीलेंस इन इंवेस्टीगेशन" अवार्ड दिया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय से जारी पत्र अनुसार निरीक्षक उमेश प्रताप सिंह, आलोक श्रीवास्‍तव, अनिमेष कुमार द्विवेदी, सुनील लाटा, जितेन्‍द्र सिंह भास्‍कर, रेवल सिंह बड्रे, अभय नेमा और उप निरीक्षक आकांक्षा सहारे, आरती धुर्वे, रामप्‍यारी धुर्वे और अंजू शर्मा को उत्कृष्ट विवेचना के लिए यह मैडल प्रदान किया गया है

32 दिन में मिली फांसी की सजा

भोपाल में आठ साल की बच्ची से रेप और हत्या के दोषी विष्णु बामोरे को भोपाल अदालत ने फांसी की सज़ा सुनाई थी. कोर्ट ने रिकॉर्ड समय में सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाया. इस केस में पुलिस ने 108 पेज की चार्जशीट पेश की थी और 40 लोगों को गवाह बनाया था. वारदात के 32 दिन में अदालत का फैसला आ गया. भोपाल के कमला नगर थाना क्षेत्र में 8 जून 2019 को ये वारदात हुई थी. बच्ची सामान लेने किराने की दुकान पर गई थी. विष्णु बामोरे ने वहां से बच्ची को अगवा कर उससे रेप और फिर हत्या कर दी थी. अगले दिन 9 जून को बच्ची की लाश बस्ती के नाले में मिली थी. इस अमानवीय घटना के बाद लोगों में आक्रोश फैल गया था. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह बच्ची की अंतिम यात्रा में शामिल हुए थे. शिवराज सिंह चौहान भी पीड़ित परिवार से मिलने गए थे.

इस पदक की स्थापना 2018 में विवेचना में उच्च व्यावसायिक मापदण्डों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गयी है. इस साल पूरे देश में 152 पुलिस अधिकारियों को इससे सम्मानित किया गया है. इनमें सबसे ज्यादा 15 अधिकारी सीबीआई के हैं. मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के 11-11 अधिकारियों को यह पदक मिला.


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