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भारत-पाक युद्ध 1971: अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद के लिए भेजी नौसेना, रूस ने ऐसे की भारत की मदद

jantaserishta.com
16 Dec 2021 3:06 AM GMT
भारत-पाक युद्ध 1971: अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद के लिए भेजी नौसेना, रूस ने ऐसे की भारत की मदद
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नई दिल्ली: आज भारत पाकिस्तान के साथ 1971 की जंग में जीत के 50 वर्ष पूरे होने की उपलब्धि पर विजय दिवस मना रहा है। पूरे देश में इस बात पर हर्षोल्लास है। आज के ही दिन यानी 16 दिसंबर 1971 को भारत ने पाकिस्तान को जंग में करारी शिकस्त दी थी और इसके फलस्वरूप बांग्लादेश (पहले पूर्वी पाकिस्तान था) का उदय हुआ। इस युद्ध में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। यह इतिहास में दूसरे विश्वयुद्ध के बाद का सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण माना जाता है। भारतीय सेना की जांबाजी के आगे पाकिस्तानी सेना ने महज 13 दिन में ही घुटने टेक दिए थे।

भारत-पाक युद्ध के दौरान एक समय ऐसा भी आया, जब अमेरिका पाकिस्तान की मदद के लिए आगे आ गया था। अमेरिका ने जापान के करीब तैनात अपने नौसेना के सातवें बेड़े को पाकिस्तान की मदद करने के लिए बंगाल की खाड़ी की ओर भेज दिया था। इसके पीछे का कारण तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन और भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बीच संबंधों का अच्छा न होने को भी बताया जाता था। 1971 के समय अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध काफी मजबूत माने जाते थे। अमेरिका ने पाकिस्तान को कई अत्याधुनिक हथियार दिए थे। पाकिस्तानी नौसेना की पीएनएस गाजी भी अमेरिका द्वारा निर्मित की गई एक अत्याधुनिक पनडुब्बी थी। इसे भारत के विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत को तबाह करने के लिए भेजा गया था। हालांकि, भारतीय नौसेना ने इसे विशाखापत्तनम के पास डुबो दिया था और पाकिस्तानी नौसेना की कमर तोड़ दी थी।
क्या थी सातवें बेड़े की खूबी?
अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े में यूएसएस एंटरप्राइज नामक परमाणु शक्ति से लैस विमानवाहक युद्धपोत और अन्य विध्वंसक पोत आदि शामिल थे। इस बेड़े को उस समय दुनिया के सबसे शक्तिशाली नौसैनिक बेड़ों में से एक माना जाता था। यूएसएस एंटरप्राइज बिना दोबारा ईंधन की जरूरत के दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक जाने की क्षमता रखता था। यह भारत के विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत के मुकाबले कहीं ज्यादा बड़ा था। अमेरिका ने इस बेड़े को बंगाल की खाड़ी में भेजने के पीछे बांग्लादेश में फंसे अमेरिकी नागरिकों को बाहर निकालना बताया था। हालांकि, आगे चलकर यह बात सामने आई कि इस बेड़े का मकसद तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध लड़ रही भारतीय सेना पर दबाव बनाना था।
रूस ने कैसे की मदद?
अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े के भारत की ओर बढ़ने की खबर के बाद भारत ने रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) से मदद मांगी थी। युद्ध शुरू होने के कुछ महीने पहले ही भारत ने रूस के साथ सोवियत-भारत शांति, मैत्री और सहयोग संधि की थी। अमेरिकी नौसेना को बंगाल की खाड़ी की ओर बढ़ता देख कर रूस ने भारत की मदद के लिए अपनी परमाणु क्षमता से लैस पनडुब्बी और विध्वंसक जहाजों को प्रशांत महासागर से हिंद महासागर की ओर भेज दिया।
पाकिस्तानी सेना ने किया आत्मसमर्पण
अमेरिका का सातवां बेड़ा जब तक पाकिस्तान की मदद करने के लिए बंगाल की खाड़ी में पहुंच पाता, उससे पहले ही 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने भारत के सामने घुटने टेक दिए और आत्मसमर्पण कर दिया। हालांकि, रूस की नौसेना ने सातवें बेड़े का पीछा तब तक नहीं छोड़ा, जब तक वह वापस नहीं लौट गया
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी रूस ने दिया साथ
भारत और पाकिस्तान के बीच जारी युद्ध के दौरान अमेरिका सहित कई अन्य देश पाकिस्तान के समर्थन में खड़े थे। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में युद्धविराम का प्रस्ताव लाकर पाकिस्तान की मदद करने की कोशिश की। हालांकि, रूस ने इस प्रस्ताव पर वीटो करके भारत की मदद की थी। इस कारण से भी रूस को भारत का सदाबहार दोस्त माना जाता है।
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