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भारत की ZyCoV-D: बिना इंजेक्शन लगेगी वैक्सीन, लगेंगे 3 डोज, जाने पूरी जानकारी

jantaserishta.com
1 July 2021 8:05 AM GMT
भारत की ZyCoV-D: बिना इंजेक्शन लगेगी वैक्सीन, लगेंगे 3 डोज, जाने पूरी जानकारी
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भारतीय कंपनी जायडस कैडिला ने अपनी कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) से आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मांगी है. बच्चों के लिए सुरक्षित बताई जा रही इस कोरोना वैक्सीन में बहुत कुछ खास है. यह पहली पालस्मिड DNA वैक्सीन है. इसके साथ-साथ इसे बिना सुई की मदद से फार्माजेट तकनीक से लगाया जाएगा, जिससे साइड इफेक्ट के खतरे कम होंगे.

जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D का तीसरे चरण का ट्रायल हो चुका है. इसमें 28 हजार प्रतिभागियों से हिस्सा लिया था. भारत में किसी वैक्सीन का यह अब तक का सबसे बड़ा ट्रायल है, इसके नतीजे भी संतोषजनक बताए गए हैं. दूसरी कोरोना लहर के दौरान ही देश की 50 क्लीनिकल साइट्स पर इसका ट्रायल हुआ था. इसे डेल्टा वैरिएंट पर भी असरदार बताया जाता है.
बिना सुई के लगता है जायडस कैडिला का कोरोना टीका
स्टडी में पाया गया कि जायडस कैडिला की ZyCoV-D कोरोना वैक्सीन 12 से 18 साल के बच्चों के लिए सुरक्षित है. इसे फार्माजेट सुई रहित तकनीक (PharmaJet needle free applicator) की मदद से लगाया जाएगा. इसमें सुई की जरूरत नहीं पड़ती. बिना सुई वाले इंजेक्शन में दवा भरी जाती है, फिर उसे एक मशीन में लगाकर बांह पर लगाते हैं. मशीन पर लगे बटन को क्लिक करने से टीका की दवा अंदर शरीर में पहुंच जाती है.
कंपनी ने सालाना 10-12 करोड़ खुराक बनाने की बात कही है. ZyCoV-D की कुल तीन खुराक लेनी होती हैं. माना जाता है कि सुई के इस्तेमाल के बिना तीनों खुराक लगाई जाती है, जिससे साइड इफेक्ट का खतरा कम होता है.
क्लोड स्टोरेज का झंझट नहीं
ZyCoV-D के साथ एक और अच्छी बात यह है कि इसको रखने के लिए तापमान को बहुत ज्यादा कम नहीं रखना होता, मतलब इसकी थर्मोस्टेबिलिटी अच्छी है. इससे कोल्ड चेन आदि का झंझट नहीं होगा, जिसकी कमी की वजह से अबतक वैक्सीन बर्बाद होने की बात कही जा रही थी. प्लासमिड DNA प्लेटफोर्म पर वैक्सीन को बनाने से कुछ आसानी होती है. इसमें न्यूनतम जैव सुरक्षा की जरूरत होती है. इसके साथ-साथ वेक्टर संबंधित इम्यूनिटी की कोई परेशानी नहीं होती.
क्या है Plasmid आधारित DNA वैक्सीन
Plasmid आधारित DNA वैक्सीन में एंटीजन-विशिष्ट इम्यूनिटी को बढ़ाने का काम किया जाता है, जो इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है. Plasmid DNA वैक्सीन होने का सबसे बड़ा फायदा यही है कि इसे 2-8 डिग्री के तापमान में रखा जा सकता है. भारत की दूसरी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन बायो-सेफ्टी लेवल 3 लैब में बनाया जाता है. वहीं जायडस के टीके को लेवल 1 की लैब में ही बनाया जा सकता है.
इसके फायदों की बात करें तो इस तरह के निर्माण से बी- और टी-सेल दोनों एक्टिव होते हैं, वैक्सीन बेहतर काम करती है, किसी भी संक्रामक एजेंट की अनुपस्थिति को पुख्ता करती है, साथ ही साथ इससे बड़े पैमाने पर उत्पादन में आसानी होती है.
भारत में यह पहली वैक्सीन थी जिसका ट्रायल 12-18 साल के बच्चों पर हुआ था. जायडस की वैक्सीन कितनी कारगर है, इसकी बात करें तो शुरुआत में यह 66 फीसदी प्रभावी मानी गई थी. वहीं वैक्सीन लेने के बाद किसी में भी मध्यम कोरोना लक्षण देखने को नहीं मिले थे.
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