भारत

हिंद महासागर में भारत की धमक बढ़ी! दमदार विध्वंसक युद्धपोत नेवी के बेड़े में शामिल

jantaserishta.com
1 Nov 2021 8:22 AM GMT
हिंद महासागर में भारत की धमक बढ़ी! दमदार विध्वंसक युद्धपोत नेवी के बेड़े में शामिल
x
यह एक ऐसा युद्धपोत है, जिससे दुश्मन के पसीने छूट जाएंगे.

भारतीय नौसेना को उसका पहला PB15 स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर मिल गया है. यह एक ऐसा युद्धपोत है, जिससे दुश्मन के पसीने छूट जाएंगे. इस विध्वंसक युद्धपोत में भारत की सबसे ताकतवर मिसाइल ब्रह्मोस और बराक मिसाइलें लगी हैं. यह युद्धपोत दुश्मन का जहाज देखते ही अपने डेक से एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल लॉन्च कर सकता है. आइए जानते हैं कि इस युद्धपोत के भारतीय नौसेना में शामिल होने से क्या फायदा होगा? क्या इससे हिंद महासागर में भारत की धमक बढ़ जाएगी? आइए जानते हैं इस दमदार विध्वंसक युद्धपोत की ताकत...

PB15 स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर को आईएनएस विशाखापट्टनम (INS Visakhapatnam) नाम दिया गया है. इसे मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स ने बनाया है. भारतीय नौसेना ने यह विध्वंसक युद्धपोत रिसीव करने के बाद ट्वीट किया कि विशाखापट्टनम पहला स्वदेशी PB15 स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर है. यह सिर्फ भारतीय नौसेना की ताकत ही नहीं बढ़ाएगा बल्कि आत्मनिर्भर भारत को लेकर चलाए जा रहे मुहिम को भी आगे ले जाएगा.
INS विशाखापट्टनम (INS Visakhapatnam) स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर को बनाने की शुरुआत 12 अक्टूबर 2013 से हुई थी. 31 अक्टूबर 2021 में इसे भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया. यह 7400 टन का युद्धपोत है. इसकी लंबाई 535 फीट है. इसे ट्विवन जोर्या M36E गैस टर्बाइन प्लांट, बर्जेन केवीएम डीजल इंजन जैसे ताकतवर इंजन ताकत देते हैं. ताकि यह तेज गति से समुद्र में चल सके.
INS विशाखापट्टनम (INS Visakhapatnam) की अधिकतम गति 56 किलोमीटर प्रतिघंटा है. अगर यह 26 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलता है तो इसकी रेंज 7400 किलोमीटर है. इस युद्धपोत पर एकसाथ 300 नौसैनिक रह सकते हैं. जिसमें से 50 ऑफिसर और 250 सेलर्स शामिल हैं. इसमें सुरक्षा के लिए डीआरडीओ द्वारा बनाया गया इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर शक्ति ईडब्ल्यू सुइट और कवच चैफ सिस्टम लगा है. अब जानिए इसके हथियारों के बारे में.
विशाखापट्टनम गाइडेड मिसाइल विध्वंसक में 32 एंटी-एयर बराक मिसाइलें तैनात की जा सकती है. जिनकी रेंज 100 किलोमीटर है. या बराक 8ER मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं, जिसकी रेंज 150 किलोमीटर है. इसमें 16 एंटी-शिप या लैंड अटैक ब्रह्मोस मिसाइलें लगाई जा सकती हैं. यानी इन दोनों मिसाइलों से लैस होने के बाद ये युद्धपोत दुश्मन के जहाजों और विमानों पर मौत बनकर टूट पड़ेगा.
इसके अलावा INS विशाखापट्टनम (INS Visakhapatnam) पर एक 76 मिलीमीटर की OTO मेराला तोप, 4 AK-603 CIWS गन लगी है. जो दुश्मन के जहाज, मिसाइल या विमान को छलनी कर सकती हैं. इसमें 533 मिलिमीटर की 4 टॉरपीडो ट्यूब्स हैं, इसके अलावा 2 RBU-6000 एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर लगे हैं. यानी जमीन, हवा और पानी तीनों से दुश्मन इस युद्धपोत पर हमला करने से पहले सोचेगा.
INS विशाखापट्टनम (INS Visakhapatnam) पर दो वेस्टलैंड सी किंग या HAL ध्रुव हेलिकॉप्टर ले जाए जा सकते हैं. इस युद्धपोत में स्टेट ऑफ द आर्ट सेंसर लगे हैं, जो दुश्मन के हथियारों का आसानी से पता कर सकते हैं. ये सेंसर्स ऐसे डेक में लगाए गए हैं, जिन्हें दुश्मन देख नहीं सकता. इसमें बैटल डैमेज कंट्रोल सिस्टम्स लगाए गए हैं. यानी युद्ध के दौरान अगर जहाज के किसी हिस्से में नुकसान हो तो पूरा युद्धपोत काम करने बंद न करे.
इसके अलावा विशाखापट्टनम में टोटल एटमॉस्फियरिक कंट्रोल सिस्टम (TACS) लगाए जाने की बात कही जा रही है. इसका मतलब ये है कि इस जहाज पर मौजूद नौसैनिक किसी भी तरह के रसायनिक, जैविक या परमाणु हमले से बच सकते हैं. इस युद्धपोत के निर्माण के दौरान 21 जून 2019 को इसके एयर कंडिशनिंग रूम में आग लग जाने से एक कॉन्ट्रैक्ट वर्कर की मौत हो जानी की खबर भी आई थी. इस आग से युद्धपोत को बहुत नुकसान नहीं हुआ था.


Next Story