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काठमांडू | भारत ने हाल ही में रक्सौल-काठमांडू रेलवे का अंतिम लोकेशन सर्वे नेपाल को सौंपा है, जिसके बाद चीन टेंशन में आ गया है। चीन ने भी नेपाल की राजधानी को अपने रेलवे लाइन से जोड़ने के प्रयासों को तेज कर दिया है। चीन का लक्ष्य है कि वह केरुंग-काठमांडू रेलवे लाइन का निर्माण करे। एक्स्पर्ट्स इसे नेपाल में अपने प्रभाव को बढ़ाने के रूप में देख रहे हैं। हालांकि इसमें भारत चीन से एक कदम आगे है, क्योंकि उसने इसका डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट नेपाल को दे दिया है।
नेपाल के रेलवे विभाग के महानिदेशक रोहित बिसुरल ने कहा, 'हम वर्तमान में अंतिम लोकेशन सर्वे की रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं।' वहीं, केरुंग-काठमांडू रेलवे की बात करें तो रेल विभाग के अधिकारियों के मुताबिक चीन की टेक्निकल टीम एक फील्ड सर्वे कर रही है। इस पर बिसुरल ने कहा कि चीन की टीम मार्च से क्षेत्र में सर्वे कर रही है। फील्ड सर्वेक्षण लगभग पूरा हो चुका है। चीनी टीम हवाई सर्वेक्षण, मैपिंग, भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, स्पेशल टेक्निकल स्टडी, ऑन साइट सर्वे, निर्माण स्थिति का अध्ययन और इंजीनियरिंग स्टडी की रिपोर्ट तैयार करेगी।
रेलवे विभाग के मुताबिक पिछले साल दिसंबर के अंत में चीन रेलवे फर्स्ट सर्वे एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ग्रुप का प्रतिनिधित्व करने वाली चीन की एक टीम ने नेपाल का दौरा किया और रेलवे परियोजना का टोही सर्वेक्षण किया। यह रेलवे परियोजना का पहला सर्वेक्षण है। नेपाल के प्रधानमंत्र जब केपी शर्मा ओली थे तब 2016 में उन्होंने चीन की यात्रा की थी। तब दोनों पक्षों में इस बात पर सहमती बनी थी कि सीमा पार रेलवे निर्माण को लेकर अधिकारी जानकारी का आदान-प्रदान करेंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में नेपाल के पूर्व राजदूत लोक राज बराल ने कहा, 'भारत पिछले कुछ वर्षों से चीन को पाकिस्तान की तुलना में बड़ा खतरा मानता है। क्योंकि भारत पहले ही आर्थिक रूप से पाकिस्तान को काफी पीछे छोड़ चुका है और दुनिया की प्रमुख शक्ति के रूप में उभरा है। यही कारण है कि भारत नेपाल में अपने प्रतिद्वंद्वी चीन का प्रभाव नहीं बढ़ाना चाहता।' नेपाल का दो तिहाई व्यापार भारत के साथ होता है और नेपाल का तीसरे देश से होने वाला ज्यादातर व्यापार भारत के क्षेत्र के जरिए ही होता है।
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Harrison
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