जूनागढ़ के गिरनार पर्वत पर देश का सबसे बड़ा रोपवे तैयार, पीएम मोदी करेंगे उद्धाटन
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | गुजरात के जूनागढ़ में गिरनार पर्वत पर बना मंदिर अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है. आमतौर पर यहां आने वाले लोगों के गिरनार पर्वत के ऊपर बने मंदिर के दर्शन के लिए 9999 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, लेकिन अब यहां गिरनार पर्वत पर देश का सबसे बड़ा रोपवे शुरू होने जा रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने की 24 तारीख को गिरनार रोपवे की शुरुआत करेंगे. यह प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक हैं. गिरनार की तलहटी से अंबाजी मंदिर तक (2.3 किलोमीटर) ये रोपवे बना है.
7 मिनट का सफर
इस रोपवे के शुरू होने के बाद महज 7 मिनट में इस सफर को तय किया जा सकेगा. साथ ही इस रोपवे में 24 ट्रॉली लगाई जाएगी. एक ट्रॉली में आठ लोग बैठेंगे. इससे एक फेरे में 192 यात्री जा पाएंगे. इसमें छह नंबर का टॉवर सबसे ऊंचा तकरीबन 67 मीटर है जो कि गिरनार के एक हजार सीढ़ी के पास स्थित हैं.
इस रोपवे की शुरुआत हो जाने पर जूनागढ़ का गिरनार रोपवे पर्यटन के क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र बन जाएगा. इसे ऑस्ट्रेलियन कंपनी द्वारा संचालित किया जाएगा.
इस रोपवे की सबसे खास बात यह है कि रोपवे साल भर सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुला रहेगा. 8 यात्री बैठने वाली प्रति ट्रॉली की गति प्रति सेकंड 5 मीटर रहेगी. दो ट्रॉली के बीच का अंतर 36 सेकंड का रहेगा. 1 घंटे में 800 यात्री जा सकेंगे. लोअर स्टेशन से अपर स्टेशन तक पहुंचने में 7 मिनट 40 सेकंड लगेंगे. रोपवे के टॉवर बिल्कुल नए हैं और हर एक टॉवर के बीच इनकी ऊंचाई 7 से 8 मंजिल तक रखी गई है.
देश के सबसे बड़े रोपवे प्रोजेक्ट में आधुनिक मोनो केबल टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है. अंबाजी मंदिर रोड पर अब तक अधिकतम 180 किलोमीटर हवा की गति दर्ज की गई है. हवा की गति का सामना करने के लिए रोपवे की डिजाइन एयरोडायनेमिक बनाई गई है. ट्रॉली स्टेशन से निकलने के बाद 216 मीटर आगे जाएगी. इसके बाद दूसरी ट्रॉली रवाना होगी.
कितना होगा किराया?
यात्राधाम सहित सासण गिर शेर दर्शन और भगवान सोमनाथ के दर्शन का एक संपूर्ण टूरिज्म सर्किट विकसित होने से गिरनार और जूनागढ़ घूमने के लिए देश-विदेश से ज्यादा पर्यटक आएंगे. पर्यटकों की बढ़ती संख्या से जूनागढ़ में स्थानीय रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी और साथ ही अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी. अगर रोपवे की टिकट की बात की जाए तो करीब 700 रुपये इसका दाम रखा गया है.
भारत में अब तक चार या छह लोग ट्रॉली में बैठ सकते थे, लेकिन यह पहली ट्रॉली होगी जिसमें 8 लोग बैठ सकेंगे. इस परियोजना का मूल खर्च 9 करोड़ रुपये होने का अनुमान था. लेकिन तीन दशक बीत जाने के बाद तथा आधुनिक टेक्नोलॉजी के कारण इस प्रोजेक्ट का खर्च 130 करोड़ तक होने का अनुमान लगाया जा रहा है. इस योजना का संचालन ऊषा ब्रीको कंपनी करेगी.