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भारत का इंश्योरेंस सेक्टर थाईलैंड और चीन से भी आगे, विकास की राह में चुनौतियां भी मौजूद

jantaserishta.com
15 Nov 2024 5:37 AM GMT
भारत का इंश्योरेंस सेक्टर थाईलैंड और चीन से भी आगे, विकास की राह में चुनौतियां भी मौजूद
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नई दिल्ली: भारत का इंश्योरेंस सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश के इंश्योरेंस सेक्टर ने वित्त वर्ष 2020-23 के दौरान 11 प्रतिशत की सीएजीआर वृद्धि दर्ज की है। एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, इंश्योरेंस सेक्टर ने 130 बिलियन डॉलर से ज्यादा का सकल लिखित प्रीमियम (जीडब्ल्यूपी) दर्ज किया है, जो कि थाईलैंड और चीन से भी ज्यादा है। भारत के मुकाबले चीन और थाईलैंड के इंश्योरेंस सेक्टर के लिए यह वृद्धि 5 प्रतिशत से भी कम रही।
वैश्विक प्रबंधन संबंधित परामर्शदाता फर्म मैक्किंज़े एंड कंपनी की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री सालाना आधार पर 11 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2023 तक 107 बिलियन डॉलर की हो गई है। जनरल इंश्योरेंस इंडस्ट्री सालाना आधार पर 15 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बढ़कर 35.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है। रिपोर्ट के अनुसार, इंश्योरेंस और उससे जुड़े दूसरे सेक्टर में अनुकूल परिस्थितियां इंडस्ट्री को आगे बढ़ने के लिए बेहतर स्थिति में हैं।
इसके अलावा, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने ग्राहक यात्रा को सरल बनाने और डिजिटल इनोवेशन को पेश करने के लिए विनियामक हस्तक्षेप बनाए हैं। दूसरी ओर प्राइवेट कंपनियों के उभरने से परिचालन दक्षता, टेक्नोलॉजी और निवेश में बदलाव आया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीमाकर्ता बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की स्थिति में हैं, हालांकि, पूंजी आकर्षित करने और विकास को बनाए रखने को लेकर उनके सामने कई चुनौतियां बनी हुई हैं।
रिपोर्ट के अनुसार 2047 तक “सभी के लिए बीमा” के विनियामक के लक्ष्य के बावजूद, उद्योग की प्रवेश दर 2022 में 4.2 प्रतिशत से घटकर 2023 में 4.0 प्रतिशत हो गई, जो दर्शाता है कि इसकी प्रगति देश की आर्थिक वृद्धि के बराबर नहीं रही है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नए बिजनेस प्रीमियम में 17.2 प्रतिशत सीएजीआर हासिल करने के बावजूद, भारत की टॉप पांच प्राइवेट लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों ने पिछले पांच वर्षों में शुद्ध लाभ में 2 प्रतिशत से कम सीएजीआर दर्ज करवाया है।
यह प्रोडक्ट इनोवेशन, वितरण दक्षता और रिन्यूवल मैनेजमेंट के बीच एक अंतर को दिखाता है। कई ऐसे कारक हैं जो इंडस्ट्री की परफॉर्मेंस को प्रभावित करते हैं। इनमें, परिचालन अक्षमताएं, कवरेज को लेकर गैप, लिमिटेड रेगुलेटरी सपोर्ट शामिल हैं।
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