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भारत के प्रथम आधिकारिक ढांचे 'सफर' को वैश्विक स्तर पर की स्वीकार, अंतरराष्ट्रीय जर्नल के नतीजों में मिली मान्यता

Kunti Dhruw
22 Sep 2021 3:07 PM GMT
भारत के  प्रथम आधिकारिक ढांचे सफर को वैश्विक स्तर पर की स्वीकार, अंतरराष्ट्रीय जर्नल के नतीजों में मिली मान्यता
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वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान के लिए भारत के प्रथम आधिकारिक ढांचे ‘सफर’ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया है.

वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान के लिए भारत के प्रथम आधिकारिक ढांचे 'सफर' को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया है. सफर के संस्थापक परियोजना निदेशक ने बुधवार को कहा कि एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल ने अपने नतीजे प्रकाशित किये हैं, जिससे इसे यह मान्यता मिली है.

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत अधिकार प्राप्त और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत विकसित 'सफर' का उपयोग दिल्ली, मुंबई, पुणे और अहमदाबाद में वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान के लिए किया जा रहा है. सफर के नतीजों को एक शोध पत्र''विविध पर्यावरण के लिए भारत का प्रथम वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान ढांचा: सफर परियोजना'' में शामिल किया गया है, जिसे मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय एल्सवियर जर्नल ''इनवायरोन्मेंटल मॉडलिंग ऐंड सॉफ्टवेयर'' में ऑनलाइन प्रकाशित किया गया.
रिसर्च में क्या हुआ खुलासा?
भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे ने भारत मौसम विज्ञान विभााग और उत्कल विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर के सहयोग से शोध का नेतृत्व किया. शोध में यह खुलासा किया गया है कि पीएम 2.5 (हवा में मौजूद 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास के कण) के उत्सर्जन में परिवहन की सबसे बड़ी भूमिका है. यह दिल्ली में पीएम 2.5 के लिए 41 प्रतिशत , पुणे में 40 प्रतिशत के लिए, अहमदाबाद में 35 प्रतिशत के लिए और मुंबई में 31 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है.
जैव ईंधन की हिस्सेदारी मुंबई में सर्वाधिक (15.5 प्रतिशत) है, इसके बाद पुणे में 11.4 प्रतिशत, अहमदाबाद में 10.2 प्रतिशत और दिल्ली में तीन प्रतिशत है. बेग ने कहा, ''हमनें अलग-अलग जलवायु वाले चार भारतीय शहरों–दिल्ली, मुंबई, पुणे और अहमदाबाद में सफर ढांचे को प्रदर्शित करने का विकल्प चुना.''
एनसीएपी 2017 को आधार वर्ष बनाते हुए पीएम सकेंद्रण में 2024 तक 20 से 30 प्रतिशत तक की कमी लाना चाहता है. बेग ने कहा कि सफर ढांचा वायु गुणवत्ता प्रबंधन का एक ही स्थान पर समाधान प्रस्तुत करता है. साथ ही, वायु प्रदूषण पर विज्ञान आधारित योजनाएं बनाने में मदद करता है. उन्होंने कहा, ''अब भारत के पास अपना खुद का वायु गुणवत्ता ढांचा है, जिसकी विश्वसनीयता साबित हो चुकी है.''
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