देश का सबसे बड़ा घोटाला: भारत सरकार घोटालेबाज पीसी सिंह को लेकर क्यों है मौन
दिल्ली: देश के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है। मसीह समाज के नितिन लॉरेंस राकेश छतरी ने बताया कि शासकीय जमीनों का बंदरबांट करने वाले पीसी सिंह ने अब तक अरबों खरबों रुपए की जमीनों का बंदरबांट कर विजय माल्या और नीरव मोदी को भी पीछे छोड़ दिया है। विजय माल्या 9 हजार करोड़ और नीरव मोदी 14 हजार करोड़, दोनों की कुल धोखाधड़ी से तीगुने स्तर की धोखाधड़ी करने वाले पीसी सिंह आज भी स्वतंत्र हैं और उनका जमीनों का बंदरबांट करने का सिलसिला अनवरत जारी है। हालांकि विजय माल्या और नीरव मोदी को तो भारत सरकार ने भगौड़ा घोषित कर दिया लेकिन भारत देश में रहते हुए शासकीय जमीनों का बंदरबांट करने वाले पीसी सिंह व उनके साथियों ऊपर 107 या इससे ज्यादा एफ आई आर दर्ज है वह सरकार के नाक के नीचे अपने अपराधी कृतियों को अंजाम दे रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी केंद्र सरकार की छवि को धूमिल करने वाले उच्च अधिकारियों ने इस पर कार्यवाई करना छोड़ इस मामले को ठंडे बस्ते में डाला हुआ है।
मीडिया से बात करते हुए राकेश छतरी ने बताया कि: पिछले कुछ वर्षों में हाल के घटनाक्रम स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि सीएनआई अपने संविधान के अनुसार और उपनियमों के अनुसार काम नहीं कर रहा है। इस प्रकार पूरी तरह से ग्रीन बुक के विपरीत कार्य करना और भारत के संविधान द्वारा गारंटीकृत अधिकांश ईसाइयों के विश्वास और धार्मिक अधिकारों में बाधा डालने का कार्य किया जा रहा है। सीएनआई के वर्तमान मॉडरेटर श्री पी.सी.सिंह सहित कुछ निष्पादन समिति के सदस्यों के अवैध, असंवैधानिक, मनमानी और गैरकानूनी कृत्यों के कारण सीएनआई के निर्णय लेने, प्रशासन और कामकाज में विभिन्न अनियमितताएं हैं। अक्टूबर 2017 में हुए चुनाव के 3 साल की अवधि बीतने के बाद साल 2020 में चुनाव होना था। लेकिन संविधान के मुताबिक 1 साल आगे बढ़ाने का प्रावधान है। जिसके तहत 4 अक्टूबर 2021 तक पीसी सिंह पद में थे लेकिन 4 अक्टूबर 2021 बीत जाने के बाद उनके द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय मान्य नहीं क्योंकि,संविधान के मुताबिक अब वह इस पद में मान्य नहीं है। इसके बावजूद भी वह अपनी मनमानी कर रहे हैं। इसलिए, इस बात की सख्त आवश्यकता है कि जो निकाय लाखों ईसाइयों को नियंत्रित करता है, वह भारत के संविधान और हमारे देश के सामान्य कानूनी ढांचे के अनुरूप भारत के नियमों और विनियमों के अधीन है, यह भी आवश्यक है कि अल्पसंख्यक आयोग और सरकार द्वारा संरचित और विनियमित किया जाना चाहिए ताकि सत्ता के किसी भी दुरुपयोग से बचा जा सके।
सीएनआई संविधान के अनुसार, चर्च के अनुशासन पर, सभी सदस्यों, चर्च में सदस्यता की उनकी स्वीकृति द्वारा, और सभी मंत्री, चाहे बिशप हों , प्रेस्बिटर्स (पुजारी), डीकन या इंजीलवादी, अपने संविधान की स्वीकृति की औपचारिक घोषणा करके, इस संविधान में निहित इस चर्च के नियमों द्वारा बाध्य होने और स्वीकार करने के लिए एक पारस्परिक अनुबंध में प्रवेश करना माने जाएंगे। उन्हें, और इस संविधान द्वारा अनुमत अपील के सभी अधिकारों को बचाते हुए, किसी भी अदालती कार्रवाई द्वारा उचित परीक्षण के बाद, संविधान के अधिकार को प्रस्तुत करने के लिए, किसी भी सजा को प्रस्तुत किया जा सकता है।
संविधान के मुताबिक धर्मसभा की अध्यक्षता करने के लिए चुने जाने वाले धर्माध्यक्ष के रूप में नामित किये गए मॉडरेटर, 2. उप। मॉडरेटर , 3 . महासचिव , 4 . कोषाध्यक्ष का कार्यकाल केवल 3 वर्षों का होता है। धर्मसभा की एक साधारण बैठक सामान्य रूप से तीन वर्ष में एक बार आयोजित की जाती है। कार्यकारिणी समिति अपरिहार्य परिस्थितियों में बैठक को अधिकतम एक वर्ष तक स्थगित करने के लिए सक्षम होगी। मॉडरेटर और डिप्टी मॉडरेटर लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए एक ही कार्यालय के लिए पात्र नहीं होंगे। लेकिन वर्तमान में सर्वाधिक आर.टी. रेव.पी.सी. सिंह चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया सिनॉड के मॉडरेटर हैं। आरटी। रेव बिजॉय कुमार नायक डिप्टी मॉडरेटर हैं, रेव शैलेश डेनल्स लाल महासचिव हैं, श्री सुब्रत गोरल सीएनआई धर्मसभा के कोषाध्यक्ष हैं। जबकि इन का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और यह गैरकानूनी तरीके से अभी भी अपने पद में बैठे हुए है। सीएनआई के संविधान के अनुसार उत्तर भारत के चर्च के धर्मसभा की एक साधारण बैठक हर तीन साल में एक बार होगी। ऐसी साधारण बैठक में चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया और सभी सूबा के संबंध में सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाती है और वित्तीय ऑडिट, कोषाध्यक्ष, महासचिव की रिपोर्ट और सीएनआई की विभिन्न समितियों की रिपोर्ट आदि को शामिल किया जाता है। ऐसे सामान्य में नए चुनाव की बैठक धर्मसभा के नए निकाय के चुनाव के लिए होती है जो आगे नई कार्यकारी समिति का चुनाव करती है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि सीएनआई को उसके संविधान के अनुसार और लोकतांत्रिक तरीके से संचालित करने के लिए हर तीन साल में साधारण बैठक आयोजित की जाए। सीएनआई संविधान के खंड 3 खंड VIII, भाग II के अनुसार "धर्मसभा की एक साधारण बैठक आम तौर पर हर तीन साल में एक बार आयोजित की जाएगी। यदि किसी भी अपरिहार्य परिस्थितियों के लिए, जिसमें धर्मसभा की कार्यकारी समिति एकमात्र न्यायाधीश होगी, साधारण धर्मसभा की बैठक स्थगित करनी पड़ती है, कार्यकारिणी समिति बैठक को अधिकतम 1 वर्ष की अवधि तक स्थगित करने के लिए सक्षम होगी। इसलिए, किसी भी परिस्थिति में धर्मसभा की साधारण बैठक को उत्तर भारत के चर्च के संविधान में निर्धारित 1 वर्ष की अवधि से आगे स्थगित नहीं किया जा सकता है। लेकिन इसके बावजूद भी पीछे से लगातार अपनी मनमानी कर केवल अपनी मनमर्जी कर रहे हैं वैधानिक तौर पर देखा जाए तो उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनके द्वारा दिया गया कोई भी आदेश मान्य नहीं है। बावजूद इसके पीसी सिंह के सत्ता लोभी व्यवहार,अवैधानिक कृत्य और मनमानी करने की कोई चरम सीमा नहीं है।
जब भारत देश आजाद हुआ तब ईसाई मिशनरियों द्वारा भारत सरकार से करार करके पूरे भारत देश भर में खास कर नार्थ ईस्ट , पश्चित बंगाल , राजस्थान आदि मे ( केरल , तमिलनाडू , आंध्रप्रदेश एवं कर्नाटक को छोड़ कर ) शिक्षा , स्वास्थ्य एवं अन्य जनपयोगी कार्य के लिये भारत में कार्य कर रही ईसाई मिशनरियों को जमीनों को लीज पर सौपा था । सौपे गये जमीनो पर स्कूल भवन , अस्पताल एवं अन्य जनपयोगी कार्य के अंतर्गत निर्माण कार्य हेतु लीज दी गई है । लेकिन इस उलट विगत् कई वर्षों से यह देखा जा रहा है कि चर्च ऑफ नार्थ इंडिया (16 पंडित पंत मार्ग,नई दिल्ली) के माडरेटर ( अध्यक्ष ) श्री प्रेमचंद सिंह ( पी.सी. सिंह ) एवं सुरेश जैकब मैनेजिंग डायरेक्टर संजय सिंह यू.सी.एन.आई.टी .ए. , मुंबई एवं उनके साथियों द्वारा जमीनो को अवैध रूप से धड़ल्ले से विक्रय किया जा रहा है , जबकि जमीनों को विक्रय करने के पूर्व भारत सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमती अनिवार्य है।
इसके पूर्व भी देश के विभिन्न राज्यो जैसे दिल्ली , पंजाब , गुजरात , महाराष्ट्र , उत्तराखण्ड , राजस्थान , उत्तर प्रदेश ( मालवा क्षेत्र ) , मध्यप्रदेश , छत्तीसगढ़ एवं झारखंड , पश्चिम बंगाल , बिहार , हरियाणा में स्थित ईसाई मिशनरियों की जमीनो को उक्त दोनो व्यक्तियो एवं उनके साथियों के द्वारा अवैध रूप से विकय कर करोड़ो रूपये अर्जित किये गये है , अवैध रूप से जमीनों के विकय से लाभ अर्जित के राजस्व को भारत सरकार को अंधेरे में रखा गया पूरे भारत देश के विभिन्न थानो मे उक्त जमीनो को अवैध तरीके से बेचने के कारण पिछले विगत् कुछ वर्षों से चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के पूर्व मॉडरेटर ( अध्यक्ष ) व बिशप जबलपुर डायोसिस के श्री प्रेमचंद सिंह ( पी.सी. सिंह ) व सुरेश जेकब के विरूद्ध ( सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार ) 106 एफ.आई.आर. दर्ज हुआ है।
राकेश छतरी ने बताया कि: ऐसा नहीं है कि इस बारे में भारत सरकार को जानकारी नहीं है। पीसी सिंह के खिलाफ पहले भी फैक्स और स्पीड पोस्ट के माध्यम से पीसी सिंह के इनको कृतियों के बारे में जानकारी दी गई थी लेकिन इसके बावजूद भी देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करने को उतारू उनके अधीनस्थ अधिकारियों/ कर्मचारियों द्वारा कोई भी कड़ा रवैया इनके खिलाफ नहीं अपनाया गया है। अगर स्पष्ट कहा जाए तो जिस तरह से इतने बड़े अपराधी को संरक्षण दिया जा रहा है उसमें यह कहने में भी संकोच नहीं कि पीसी सिंह द्वारा प्रधानमंत्री जी के अधीनस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ भी लेनदेन किया जा रहा है। क्योंकि कोई भी मामला सीधे प्रधानमंत्री के पास नहीं पहुंचता। मामले की गंभीरता या अनिवार्यता के अनुरूप ही अधिकारी/ कर्मचारियों के माध्यम से जानकारी प्रधानमंत्री तक पहुंचता है। ऐसे में बीच के बंदर बनकर अधिकारी रोटी लूटने का काम कर रहे हैं ।वरना अगर ऐसा नहीं होता तो माननीय सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने एक सभा मे प्रधानमंत्री व सभी राज्यों के मुख्यमंत्री को सम्बोधित करते हुए कहा था कि अगर निचले स्तर पर ही गंभीर मामलों पर ईमानदारी व कड़ाई से समाधान कर उस पर कार्रवाई हो तो सुप्रीम कोर्ट में भार नहीं पड़ेगा।