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भारत का करारा जवाब, ब्रिटिश नागरिकों को दस दिन क्वारंटाइन रहने और दो बार कराना होगा कोरोना टेस्ट
Deepa Sahu
1 Oct 2021 4:15 PM GMT
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कोरोना टीकाकरण पर भारत सरकार ने ब्रिटेन को उसी की भाषा में करारा जवाब दिया है।
नई दिल्ली। कोरोना टीकाकरण पर भारत सरकार ने ब्रिटेन को उसी की भाषा में करारा जवाब दिया है। ब्रिटिश सरकार ने जिस तरह से भारत में वैक्सीन लेने वालों को अपने यहां आने को लेकर कोई तरजीह नहीं दी थी उसी तर्ज पर भारत सरकार ने भी जवाबी कार्रवाई करने का फैसला किया है। चार अक्टूबर के बाद से भारत आने वाले हर ब्रिटिश नागरिकों को किसी आवास या निर्धारित केंद्र में 10 दिन के अनिवार्य क्वारंटाइन में रहना होगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि उन्होंने कोई वैक्सीन लगवाई है या नहीं। भारत आने के बाद उन्हें दो बार आरटी-पीसीआर जांच भी करवानी होगी। वैसे दोनों देशों के बीच कोरोना टीकाकरण के सर्टिफिकेट को मान्यता देने पर बातचीत भी चल रही है और अगर दो दिनों के भीतर कुछ सहमति बनती है तो प्रस्तावित दिशानिर्देशों में रियायत दी जा सकती है।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय की तरफ से नए दिशानिर्देशों को तीन अक्टूबर को जारी किया जा सकता है। अभी मोटे तौर पर यह फैसला किया गया है कि हर ब्रिटिश नागरिक को भारत की फ्लाइट पकड़ने से पहले 72 घंटे के भीतर वाली एक आरटी-पीआरसी जांच अनिवार्य किया जाएगा। भारत पहुंचने पर उन्हें तुरंत ही एयरपोर्ट पर ही एक और आरटी-पीसीआर करवानी होगी। इसके बाद उन्हें घर या दूसरे निर्धारित स्थल पर 10 दिनों के लिए अनिवार्य तौर पर क्वारंटाइन में रहना होगा। इस बीच आठवें दिन उनको फिर आरटी-पीआरसी जांच करवानी होगी। इस सभी की जानकारी उन्हें एक निर्धारित वेबसाइट पर देनी होगी। वैसे अभी भी यह नियम है कि ब्रिटिश नागरिकों को सात दिनों के क्वारंटाइन में रहना होता है लेकिन उसका पालन कड़ाई से नहीं किया जाता। नए दिशानिर्देश का मकसद यही है कि अब इन्हें सख्ती से लागू किया जाएगा।
दरअसल, यह पूरा विवाद पिछले दिनों ब्रिटिश सरकार की तरफ से यात्रा संबंधी नए दिशानिर्देशों से उत्पन्न हुआ है। ब्रिटेन के ये दिशानिर्देश भी चार अक्टूबर से लागू होंगे। अमेरिका और यूरोपीय संघ के 17 देशों में लगाई जा रही कोरोना रोधी वैक्सीन सर्टिफिकेट को इसमें छूट दी गई है। यानी इन देशों के वैक्सीन लगवाने वाले नागरिकों पर कोई पाबंदी नहीं होगी। इसमें ब्रिटेन की एस्ट्राजेनेका के भारतीय संस्करण कोविशील्ड को छूट नहीं दी गई है, जिसको लेकर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। हद तो तब हो गई जब ब्रिटिश सरकार ने यह संशोधन किया कि उसकी तरफ से जिन देशों के नाम बताये गए हैं वहां का कोई नागरिक भारतीय कोविशील्ड को अपने देश में लिया है तो उसे बेरोकटोक आने दिया जाएगा लेकिन इसी वैक्सीन को भारत में लेने पर उसे जांच करानी होगी और क्वारंटाइन में रहना होगा। जिन देशों को लेकर ब्रिटेन ने हरी झंडी दिखाई है उनमें से कई देशों में कोविड की स्थिति भारत से खराब है। टीकाकरण की स्थिति भी भारत से बेहतर नहीं है। यही वजह है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका में ब्रिटिश विदेश मंत्री के साथ मुलाकात में इसे भेदभाव वाला नियम बताया था।
आस्ट्रेलिया ने दी कोविशील्ड को मान्यता
आस्ट्रेलिया के शुक्रवार को भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआइआइ) की कोविशील्ड को मान्यता देने का एलान किया। इससे आस्ट्रेलिया में पढ़ाई करने वाले छात्रों और वहां रोजगार व पर्यटन के सिलसिले में जाने वाले भारतीयों को काफी सहूलियत होगी। आस्ट्रेलिया की नियामक एजेंसी थेरापैटिक गुड्स एडमिनिस्ट्रेशन (टीजीए) ने कोविशील्ड और चीन की साइनोवैक को मान्यता प्राप्त वैक्सीन में शामिल किया है।
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