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2014 से पहले विदेश जाने वाले भारतीय आत्मसम्मान में गिरावट महसूस करते थे: डॉ. जितेंद्र सिंह

jantaserishta.com
13 Feb 2023 2:30 AM GMT
2014 से पहले विदेश जाने वाले भारतीय आत्मसम्मान में गिरावट महसूस करते थे: डॉ. जितेंद्र सिंह
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फाइल फोटो

नई दिल्ली (आईएएनएस)| केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2014 के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश निराशावाद से आशावाद की ओर बढ़ रहा है और जहां 2014 से पहले विदेश की यात्रा करने वाले भारतीय अपने आत्मसम्मान में गिरावट महसूस करते थे, वहीं आज दुनिया उन्हें आदर, सम्मान और उम्मीद के साथ भारत की ओर देखती है। रविवार को मुख्य अतिथि के रूप में गुरुग्राम के होटल लीला में रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3011 के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2014 से पहले सभी भारतीय नागरिक कई शीर्ष मंत्रियों के घोटालों और भ्रष्टाचारों से निराशा महसूस कर रहे थे, लेकिन पिछले लगभग नौ वर्षो में एक भी मंत्री पर इस प्रकार का कोई भी आरोप नहीं लगा है और इसके विपरीत, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रदान किया गया भरोसा और विश्वास ने एक औसत भारतीय को भी आगे बढ़ने और बाकी दुनिया का नेतृत्व करने के लिए एक सोच और दृढ़ संकल्प की भावना प्रदान की है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के पिछले लगभग नौ वर्षो में सुशासन में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक ने वैश्विक मंदी के दौर के बीच भी एक उज्‍जवल स्थल बताया है। डॉ. सिंह ने कहा कि आज दुनिया भारत की ओर इस मार्ग का नेतृत्व करने के लिए देख रहा है।
उन्होंने एक अन्य उदाहरण देते हुए कहा कि अंतरिक्ष विभाग को भी प्रधानमंत्री मोदी ने अतीत की बेड़ियों और वर्जनाओं से मुक्त किया और आज अमेरिका एवं रूस जैसे देशों ने भी उसके रास्ते को चुना है।
जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि 2014 से पहले सरकार और सत्तारूढ़ दलों के बीच नीति लागू करने और यथास्थिति से बाह निकले वाली मानसिकता नहीं थी और वे भारत के विशाल मानव संसाधनों का स्वतंत्र उपयोग करने और पूर्ण रूप से खेलने की अनुमति देने के लिए तैयार नहीं थे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि आने वाले वर्षो में भारत के विकास को विशाल महासागर संसाधनों और लंबे समय से बढ़ते हुए हिमालयी संसाधनों जैसे अनछुए क्षेत्रों के अनुकूल बनाया जाएगा, जिसे 70 वर्षो से ज्यादा समय तक यह महसूस नहीं किया गया कि ये भारत के लिए एक विशिष्ट लाभ बन सकते थे।
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