सोर्स न्यूज़ - आज तक
यूपी। जिस अयोध्या की बदौलत बृजभूषण शरण सिंह राजनीति की बुलंदियों पर पहुंचे, अब उसी अयोध्या में होने वाली एक बैठक में यह तय होगा कि उनके सितारे गर्दिश में जाएंगे या फिर से बुलंदियों पर पहुंचेंगे. दरअसल, अयोध्या में भारतीय कुश्ती महासंघ की 22 जनवरी को कार्यकारिणी बैठक बुलाई गई है, जहां तय होगा कि बृजभूषण सिंह अध्यक्ष पद से इस्तीफा देंगे या नहीं?
अहम बात है कि भारतीय कुश्ती महासंघ की बैठक बृजभूषण शरण सिंह ने अयोध्या में बुलाई है. यह वही अयोध्या है, जहां के आंदोलन से जुड़कर राजनीति से ऐसे सफर पर निकले, जहां उन्हें अब तक कोई पटखनी नहीं दे पाया. हाल में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) चीफ राज ठाकरे की अयोध्या यात्रा का विरोध करके भी बृजभूषण ने खूब सुर्खियां बटोरीं. बृजभूषण शरण सिंह ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1987 में गन्ना समिति के डायरेक्टर का चुनाव लड़कर की थी. वह यह चुनाव जीत गए, लेकिन 1988 में चुनाव हार गए. इस हार के बाद बृजभूषण ने 1989-1990 में एमएलसी चुनाव लड़ने की ठानी और बीजेपी ज्वॉइन कर ली. बीजेपी ने टिकट दिया, लेकिन 14 वोट से चुनाव हार गए.
1990 में ही बृजभूषण शरण सिंह अयोध्या आंदोलन से जुड़ गए. जब लालकृष्ण अडवाणी की रथ यात्रा निकली और उन्हें बिहार में गिरफ्तार किया गया तो उस समय फैज़ाबाद (अब अयोध्या) प्रशासन ने बृजभूषण सिंह को एक महीने के लिए जेल में बंद कर दिया था. आडवाणी जब जेल से छूटे तो उन्होंने पहली यात्रा अयोध्या से शुरू की. इस दौरान बृजभूषण शरण सिंह गोंडा से फैज़ाबाद, फैजाबाद से अयोध्या घाट और अयोध्या से लखनऊ तक लालकृष्ण आडवाणी की गाड़ी में सारथी बनकर यात्रा के दौरान साथ रहे. अयोध्या आंदोलन से जुड़ते ही बृजभूषण शरण सिंह की किस्मत पलट गई और बीजेपी ने उन्हें सीधे गोंडा सीट से लोकसभा का टिकट दे दिया.
अपने पहले संसदीय चुनाव में ही बृजभूषण शरण सिंह ने एक लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की. इसके बाद 1992 में बाबरी विध्वंस हुआ तो बृजभूषण शरण सिंह का भी नाम आरोपियों की लिस्ट में आया. बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई ने सबसे पहले बृजभूषण को गिरफ्तार किया. इस गिरफ्तारी के बाद बृजभूषण शरण सिंह बड़ा नाम बन चुके थे. अयोध्या आंदोलन के गर्भ से उपजे नेता बृजभूषण शरण सिंह हर चुनाव में बुलंदी हासिल करते गए. अब वह छठवीं बार लोकसभा पहुंचे हैं. बृजभूषण शरण सिंह अब तक 3 लोकसभा सीटों (बलरामपुर, गोंडा और कैसरगंज) से लड़ चुके हैं और तीनों सीटों से जीतकर का परचम लहरा चुके हैं. बृजभूषण की सियासत में अयोध्या का अहम योगदान है.