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चीनी यूनिवर्सिटी से MBBS कर रहे भारतीय छात्र प्रदर्शन करने उतरे, जानें क्या है पूरा मामला
jantaserishta.com
20 March 2022 6:08 AM GMT
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तिरुवनंतपुरम: चीनी विश्वविद्यालयों में एमबीबीएस कर रहे कई भारतीय छात्रों ने भारत में अपनी फिजिकल ट्रेनिंग को मान्यता देने की मांग को लेकर शनिवार को केरल सचिवालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. विदेशों में मेडिकल छात्रों के माता-पिता के संघ- विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट्स पेरेंट्स एसोसिएशन (FMGPA) के बैनर तले ये विरोध प्रदर्शन किया गया था.
COVID-19 महामारी फैलने के बाद भारत लौटने के लिए मजबूर, मेडिकल छात्र तब से चीन लौटने में असमर्थ रहे हैं और राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों में अपनी फिजिकल ट्रोनिंग को जारी रखा है. चीनी अधिकारियों से वीजा की अनुपलब्धता के कारण अपने देश में फंसे भारतीय छात्रों ने ऑनलाइन कक्षाओं की मदद से अपना पाठ्यक्रम पूरा किया है.
यंग्ज़हौ विश्वविद्यालय में चौथे वर्ष के मेडिकल छात्र मुर्शिद अलीन ने न्यूज एजेंसी को बताया कि "हमें जनवरी 2020 में चीन से वापस आने के लिए मजबूर किया गया था. हमें ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेते हुए दो साल हो गए हैं. हमें इस बात की कोई मान्यता नहीं है कि भारत सरकार हमें इन ऑनलाइन कक्षाओं के साथ स्वीकार करेगी या नहीं. हम में से अधिकांश केरल के विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों में प्रैक्टिकल कर रहे हैं, लेकिन मान्यता प्राप्त नहीं है".
अपने लोन चुकाने और अपनी शिक्षा पूरी करने के बारे में चिंतित छात्र मुर्शिद अलीन ने कहा कि उन्होंने एक ऑनलाइन पोर्टल - Centralised Public Grievance Redress and Monitoring System (CPGRAMS) के माध्यम से केंद्र सरकार को अपनी समस्याओं के बारे में बताया है.
उन्होंने कहा- हम अभी असहाय हैं. हमें सरकार से एक प्रमाण पत्र की आवश्यकता है कि हम काफी समय से अस्पतालों में जा रहे हैं और कुछ विभागों के साथ काम कर रहे हैं." उन्होंने आगे कहा कि चीन वर्तमान में COVID-19 की एक और लहर का सामना कर रहा है और वहां की स्थिति "अधिक गंभीर" होती जा रही है. FMGPA के उपाध्यक्ष, सुबैर एमसी ने कहा कि छात्र, केरल सरकार और भारत सरकार से उनकी शिक्षा को "वैध" मानने के लिए उनके प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए ऑथराइजेशन चाहते हैं.
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