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9 साल बाद भारत के विदेश मंत्री का पाकिस्तान दौरा, एससीओ समिट में भाग लेंगे एस जयशंकर

jantaserishta.com
15 Oct 2024 6:30 AM GMT
9 साल बाद भारत के विदेश मंत्री का पाकिस्तान दौरा, एससीओ समिट में भाग लेंगे एस जयशंकर
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नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन समिट में शामिल होने के लिए आज शाम पाकिस्तान पहुंचेंगे। भारत के विदेश मंत्री का यह पाकिस्तान दौरा 9 साल बाद हो रहा है। 2015 में सुषमा स्वराज वहां गई थीं। भारत-पाकिस्तान में जारी तनाव के बीच भारत की ओर से पाकिस्तान की यह पहली उच्च स्तरीय यात्रा होगी।
भारत के विदेश मंत्री नौ साल बाद पाकिस्तान की यात्रा पर जा रहे हैं। बता दें कि पाकिस्तान एससीओ शासनाध्यक्ष परिषद (सीएचजी) की बैठक की मेजबानी कर रहा है, यह बैठक 15 और 16 अक्टूबर को होगी।
जयशंकर से पहले सुषमा स्वराज ने बतौर विदेश मंत्री पाकिस्तान की यात्रा की थी। उन्होंने साल 2015 में अफगानिस्तान पर आयोजित एक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इस्लामाबाद की यात्रा की थी।
विदेश मंत्री जयशंकर की यह पाकिस्तान यात्रा काफी अहम मानी जा रही है। पाकिस्तान को लेकर जयशंकर ने हाल में ही एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था, "किसी भी पड़ोसी देश की तरह भारत निश्चित रूप से पाकिस्तान के साथ बेहतर संबंध चाहेगा पर यह सीमा पार आतंकवाद को नजरअंदाज करके और ऐसी (सीमा पार आतंकवाद खत्म करने की) इच्छा करने से नहीं हो सकता।"
पाकिस्तान में जयशंकर का दौरा चर्चा का विषय बना हुआ है। सत्तारूढ़ सरकार के कई मंत्रियों और विपक्षी नेताओं ने घरेलू राजनीतिक फायदे के लिए उनकी यात्रा को सुर्खियों में ला दिया है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सांसद और खैबर-पख्तूनख्वा (केपी) के सूचना सलाहकार बैरिस्टर मुहम्मद अली सैफ ने जयशंकर को पीटीआई कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए आमंत्रित किया, जो देश की राजधानी में विरोध रैली कर रहे हैं।
आपको बताते चलें, शंघाई सहयोग संगठन एक यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा संगठन है जिसकी स्थापना 2001 में चीन और रूस ने की थी। इसका मुख्यालय बीजिंग में है और इसकी स्थापना चीन, रूस, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और तजाकिस्तान ने मिलकर की थी।
एससीओ एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जो राजनीति, व्यापार, अर्थव्यवस्था, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, संस्कृति, शिक्षा, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण आदि क्षेत्रों में प्रभावी सहयोग को प्रोत्साहित करके सदस्य राज्यों के बीच आपसी विश्वास, मित्रता और अच्छे पड़ोसी की भावना को मजबूत करने पर जोर देता है।
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